Advertisement

नीतीश, लालू, मांझी और भाजपा के सामने क्या है चुनौती

बिहार में भारतीय जनता पार्टी की जीतनराम मांझी को बचाने की रणनीति बुरी तरह से फ्लाप हो गई। अंतत: बाजी नीतीश कुमार ने मारी और एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री पर आसीन हो गए।
नीतीश, लालू, मांझी और भाजपा के सामने क्या है चुनौती

चौथी बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार को मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाने में बड़ी मशक्कत झेलनी पड़ी। क्योंकि मांझी कुर्सी छोडऩे को तैयार नहीं थे और नीतीश हटाने पर आमादा थे। बताया जा रहा है कि मांझी के अड़े रहने के पीछे भाजपा का हाथ था जिसके कारण बिहार में पंद्रह दिनों तक राजनीतिक ड्रामा चला। दिल्ली से लेकर पटना तक कदमताल हुआ और हुआ वही जिसका अंदेशा था। बहुमत साबित करने से ठीक दो घंटे पहले मांझी ने इस्तीफा दे दिया।

नीतीश कुमार ने बिहार की जनता से मॉफी मांगी और कहा कि अब गलती नहीं होगी। अब सवाल यह है कि विकास पुरुष कहलाने वाले नीतीश कुमार बिहार की जनता का कितना विश्वास जीत पाएंगे यह विधानसभा चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा। ञ्चयोंकि जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय  जनता दल के बीच गठबंधन होगा या विलय होगा अभी तस्वीर साफ नहीं है। राजद सांसद पप्पू यादव अपनी ही पार्टी से बगावत के मूड में हैं। पप्पू आउटलुक से बातचीत में कहते हैं कि नीतीश कुमार का साथ देकर राजद प्रमुख लालू यादव ने बड़ी गलती की है। पप्पू अभी अपना रूख साफ नहीं कर रहे हैं। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि बिहार की सियासत में एक नई पार्टी का गठन होगा जिसके सूत्रधार होंगे जीतनराम मांझी और पप्पू यादव। अभी इसका स्वरूप क्या होगा यह तय नहीं है। लेकिन बताया जा रहा है कि दलित पिछड़े, अल्पसंख्यकों का एक नया गठजोड़ बनाने की तैयारी हो रही है ताकि लालू यादव और नीतीश कुमार के सामाजिक न्याय के नारे की हवा निकाली जा सके।

उधर भाजपा मांझी को जद (यू) से निकाले जाने के बाद आक्राकम रूख अख्तियार कर चुकी थी। भाजपा प्रवक्ता  शहनबाज हुसैन कहते हैं कि एक दलित का अपमान पार्टी सहन नहीं करत सकती। इसलिए पार्टी ने मांझी का साथ देने का फैसला किया। मांझी के भाजपा में जाने की अटकलें लगने लगी। लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा जोखिम लेने के अब मूड में नहीं है। सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ ने भी भाजपा को चेताया लेकिन यह भी कहा कि मांझी का बाहर से साथ दे। संघ सूत्रों के मुताबिक मांझी ने बिहार में दलितों के बीच मुखरता से अपना आधार बना लिया है। इसलिए उन्हें विमुख नहीं किया जा सकता। संघ के आदेश के बाद ही भाजपा ने मांझी का साथ दिया। लेकिन मांझी को पार्टी में शामिल कराए जाने की बजाय अलग पार्टी देने की नसीहत भी संघ ने ही दी। मांझी संघ नेताओं के संपर्क में हैं। भाजपा की ओर से मांझी को कहा गया है कि वह नई पार्टी का गठन करें और विधानसभा चुनाव के दौरान गठबंधन करके चुनाव लड़े। अगर मांझी विधानसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं हैं तो केंद्र में मंत्री बनकर भाजपा का साथ दे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मंगल पांडे ऐसी किसी संभावना से इंकार करते हैं। पांडे कहते हैं कि फिलहाल ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई। आगे के बारे में अभी कुछ नहीं कह सकता। उधर जद (यू) और राजद के विलय को लेकर दोनों दलों में विरोध शुरू हो गया है। पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि विलय हुआ तो पार्टी छोडऩे में कोई गुरेज नहीं है। नीतीश सरकार में शामिल मंत्री रमई राम नाराज हो गए हैं। दलित समाज से आने वाले रमई राम ने उपमुख्यमंत्री पद की मांग कर डाली। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में किस तरह का विरोध शुरू होता है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement