भाजपा शासित मध्यप्रदेश में ईवीएम को लेकर एक गड़बड़ी सामने आई है। चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के भिंड में जिला निवार्चन अधिकारियों से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है।
कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को 2018 में होने वाले राजस्थान, मध्यपद्रेश और छत्तीसगढ़ के चुनावों की भी जिम्मेदारी देने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक, पांच राज्यों के चुनाव के बाद उनको यह जिम्मेदारी दे दी जाएगी। उनकी इन चुनाव की रणनीति को काफी कारगर माना जा रहा है। शुरुआती जो संकेत मिल रहे हैं, उसमें यही है कि फिलहाल प्रशांत किशोर की उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड की रणनीति कामयाब रही है।
मध्य प्रदेश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के जासूसी नेटवर्क को तोड़ने में आर्मी के इंटेलीजेंस ने अहम भूमिका निभाई थी। आर्मी अफसर की निगरानी में ही एटीएस ने ऑपरेशन को अंजाम दिया। आर्मी इंटेलीजेंस और चार इमली स्थित सेंट्रल इंटेलीजेंस पिछले दो महीनों से लगातार एक दूसरे के संपर्क में थीं।
कांग्रेस ने मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ आरोप लगाया कि उसने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन करते हुए प्रदेश के विभिन्न शहरों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ :आरएसएस: को लगभग 500 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन आवंटित की है।
देशभर में जहां कई राज्यों में पिछले चार साल में बेरोजगारी का प्रतिशत कम हुआ है, वहीं मध्यप्रदेश में बेरोजगारों की संख्या घटने के बजाय तेजी से बढ़ रही है। युवाओं की चिंता बढ़ाने वाला ऐसा खुलासा श्रम और रोजगार मंत्रालय की रिपोर्ट में किया गया है। यह रिपोर्ट संसद में पेश की गई है।
पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, असम, पुडुचेरी, त्रिपुरा में लोकसभा की चार सीटों और विधानसभा की 8 सीटों पर हुए उपचुनावों में नतीजे मिले जुले रहे। त्रिपुरा में विधानसभा सीटों में माकपा का वर्चस्व रहा तो मध्यप्रदेश की शहडोल लोकसभा और नेेपानगर विधानसभा सीट में भाजपा के प्रत्याशियों को जीत मिली है। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने नेल्लिथोपे विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज कर ली है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में दुष्कर्म, हत्या जैसे संगीन अपराधों का ग्राफ बढ़ रहा है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार मध्यप्रदेश को शांत राज्य मानती है। शांत राज्यों का मतलब है कि वो राज्य जहां लॉ एंड ऑर्डर नियंत्रण में हो। मध्यप्रदेश में नक्सली और सिमी की गतिविधियां पिछले साल की तुलना में बढ़ी हैं, फिर भी यह शांत राज्य का तमगा लिए हुए है।