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बीपीएल परिवारों के लिए पेंशन योजनाओं के लिए आवंटित धनराशि का किया गया दुरुपयोग: सीएजी रिपोर्ट

बीपीएल परिवारों के लिए पेंशन योजनाओं के लिए आवंटित धनराशि का किया गया दुरुपयोग: सीएजी रिपोर्ट

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की...
झारखंड में भाजपा ने जारी किया घोषणा पत्र, बीपीएल परिवार के एक व्यक्ति को रोजगार का वादा

झारखंड में भाजपा ने जारी किया घोषणा पत्र, बीपीएल परिवार के एक व्यक्ति को रोजगार का वादा

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)ने बुधवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया। भाजपा...
तेलंगानाः कांग्रेस का घोषणापत्र जारी, बीपीएल परिवारों को घर बनाने के लिए मिलेंगे 5 लाख रुपए

तेलंगानाः कांग्रेस का घोषणापत्र जारी, बीपीएल परिवारों को घर बनाने के लिए मिलेंगे 5 लाख रुपए

तेलंगाना विधानसभा चुनावों के लिए मंगलवार को कांग्रेस ने अपना घोषणा-पत्र जारी कर दिया है। इसमें...
मुफ्त की चीजों ने लोगों को आलसी बना दिया, सिर्फ बीपीएल को मिले फ्री चावल: मद्रास हाई कोर्ट

मुफ्त की चीजों ने लोगों को आलसी बना दिया, सिर्फ बीपीएल को मिले फ्री चावल: मद्रास हाई कोर्ट

मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि जन वितरण सेवाओं के जरिए राशन कार्ड धारकों को मुफ्त में चावल देने की...
दीपिका और जैक्लीन भी हैं बीपीएल राशन कार्डधारक

दीपिका और जैक्लीन भी हैं बीपीएल राशन कार्डधारक

भले ही बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्रियां दीपिका पादुकोण, जैक्लीन फर्नांडीस, सोनाक्षी सिन्हा और रानी मुखर्जी मुम्बई की बहुमंजिला इमारतों में रहती हों लेकिन उनमें से कई के गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) श्रेणी के राशन कार्ड उत्तर प्रदेश के फर्रखाबाद जिले के कायमगंज क्षेत्र में बने हैं, और उन पर बाकायदा राशन भी बांटा जा रहा है।
अपना और परिवार का नाम बीपीएल सूची में देख चौंके दिग्विजय

अपना और परिवार का नाम बीपीएल सूची में देख चौंके दिग्विजय

मध्य प्रदेश में प्रशासनिक लापरवाही का एक अजीब मामला सामने आया है। राज्य की बीपीएल सूची में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का नाम दर्ज है। इस संबंध में खुद दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर अपने खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है।
खाद्य सुरक्षा: सुधर सकते हैं फिसड्डी राज्यों के भी हालात

खाद्य सुरक्षा: सुधर सकते हैं फिसड्डी राज्यों के भी हालात

खस्ताहाल प्रशासन वाले राज्य भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली को दुरुस्त करने और भोजन का अधिकार अधिनियम को क्रियान्वित करने में सक्षम हैं- मध्यप्रदेश इसका नवीनतम उदाहरण है।
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