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तीन पत्रकार, नेता और ऐस्सार

एस्सार समूह के आंतरिक पत्राचार से हुए खुलासे ने एक दफा फिर साबित कर दिया है कि कॉरपोरेट , नेताओं और पत्रकारों का गठबंधन नीतियों को किस प्रकार प्रभावित करता है।
तीन पत्रकार, नेता और ऐस्सार

नीरा राडिया टेप कांड के बाद मंत्रालयों में जासूसी और अब यह खुलासा कि किस प्रकार एस्सार कंपनी ने सत्ताधारियों और रसूखदारों को प्रभावित करने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाए। सामने आए पत्राचार में ई-मेल, सरकारी अधिकारियों के साथ हुई बैठकों की जानकारियां, मंत्रियों, नौकरशाहों और पत्रकारों को पहुंचाए फायदों की जानकारियां हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर होने वाली एक जनहित याचिका में ये बातें रखी गई हैं। सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटीगेशन की ओर से यह याचिका दायर की जाएगी।

एस्सार से फायदा लेने में दिल्ली के तीन पत्रकारों का नाम आया है। इनमें से दो पत्रकार इस्तीफा दे चुके हैं और तीसरे के खिलाफ जांच जारी है। सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की जाने वाली पीआईएल में इनके नाम हैं। इनमें मेल टुडे के संपादक संदीप बामजेई, हिंदुस्तान टाइम्स की एनर्जी संपादक अनुपमा ऐरी का नाम है। इन्हें एस्सार ने कैब सुविधा दी थी। अंग्रेजी चैनल टाइम्स नाउ की उपसमाचार संपादक मीतू जैन का भी नाम है, जब वह 2012 में सीएनएन –आईबीए में थीं तब उन्होंने भी एस्सार की कैब सेवा ली थी। हिंदुस्तान टाइम्स के मुख्य संपादक संजॉय नारायण का कहना है कि यह आरोप मूलभूत नैतिक मानदंडों और पाठकों के विश्वास का गंभीर उल्लघंन हैं। हमारे पास जांच होने तक ऐरी को निष्कासित करने के अलावा कोई चारा नहीं था। लेकिन ऐरी ने इस्तीफा दे दिया है जो तुरंत स्वीकार भी हो गया।

संदीप बामजेई ने भी वर्ष 2012 में कुछ दिन के लिेए एस्सार कंपनी से कार के लिेए कहा था। बामजेई ने स्वीकार भी किया कि उन्होंने ऐसा किया था। उन्होंने यह भी कहा कि वह एक बेवकूफाना गलती थी। टाइम्स नाउ के संपादक अर्नब गोस्वामी का कहना है कि मीतू जैन के खिलाफ जांच जारी है, हमने उन्हें अपनी बात कहने के लिए कुछ दिन की मोहलत दी है।

 

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