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कूचबिहार के रिसोर्ट से अचानक क्यों निकल गईं ममता

कूचबिहार के चालसा के जिस रिसोर्ट में रुककर मतदान के आखिरी चरण पर नजर रही थीं, वहां से अचानक वे निकल गईं। राजनीति में `अनप्रेडिक्टेबल’ कही जाने वाली ममता बनर्जी ने अपने स्वभाव के अनुसार यह कदम नहीं उठाया। बल्कि, वहां चुनाव पर्यवेक्षक के पहुंचने और कांग्रेस के नेताओं द्वारा उस रिसोर्ट के प्रबंधकों को बार-बार फोन किए जाने के चलते दीदी वहां से बगैर किसी को जानकारी दिए निकल गईं।
कूचबिहार के रिसोर्ट से अचानक क्यों निकल गईं ममता

आखिरी चरण में कोई विवाद न उठे- इसके लिए इतनी सतर्कता शायद जरूरी थी। वहां से वे बंगाल में आखिरी चरण के मतदान के दौरान राजनीतिक रूप से दांव पर लगी 25 सीटों पर व्यक्तिगत रूप से खोज-खबर लेने के लिए रुकी हुई थीं। इन सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर मानी जा रही है।

डुआर्स के इस रिसोर्ट के 172 नंबर सूट में वे ठहरी हुई थीं। देर शाम हठात् वे गाड़ी से सिलिगुड़ी चली गईं। वहां से कोलकाता लौट गईं। जब वे निकलीं तो न कोई पायलट गाड़ी और न कोई काफिला। इस चुप्पी का राज क्या था? प्रशासन का कहना है कि मुख्यमंत्री की यही मर्जी थी। दरअसल, वहां शाम को उनकी पार्टी के भी जो लोग पहुंचे, उन्हें यही बताया कि वे निकल चुकी हैं। निकलने के पहले उन्होंने जेम्स कुजूर को बुलाया था। जलपाईगुड़ी के पूर्व अतिरिक्त एसपी जेम्स कुजूर तृणमूल के टिकट पर कुमारग्राम से लड़ रहे हैं।

दरअसल, चुनाव आयोग के पर्यवेक्षक के वहां पहुंचने की जानकारी मिलने और बंगाल कांग्रेस के नेताओं- सोमेन मित्र और अमजद अली सर्दार के लिए रिसोर्ट में बुकिंग की खातिर लगातार फोन के बाद वे वहां से चली गईं। वहां उनका ठहरना आखिरी मौके पर मुद्दा न बन जाए, इसके लिए उन्होंने वहां से चुपके से निकल जाना जरूरी समझा। वहां से निकलकर सिलिगुड़ी के होटल अढाई माईल में उन्होंने डेरा डाला और शुक्रवार की सुबह की फ्लाइट से कोलकाता पहुंच गईं।

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