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भितरघात यूपी में हार का कारणः राम गोपाल

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने कहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले किसी शख्स को बख्शा नहीं जाएगा। यादव के अनुसार भितरघात और पार्टी विरोधी गतिविधियां ही यूपी में एसपी की करारी शिकस्त का कारण हैं।
भितरघात यूपी में हार का कारणः राम गोपाल

राम गोपाल ने कल संसद के बाहर कहा कि पार्टी के सभी प्रत्याशियों से उनके फीडबैक जिलाध्यक्षों को सौंपने के लिए कहा जाएगा। इस बात का पता लगाया जाएगा कि कौन पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल था। जो गलत काम में लिप्त पाया जाएगा, उसके खिलाफ एक्शन होगा। राम गोपाल ने कहा कि कुछ लोगों ने पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया, जिसकी वजह से उनके कई प्रत्याशी हार गए। सपा ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था,  लेकिन दोनों पार्टियां मिलकर सिर्फ 54 सीटें ही जीत सकीं। कांग्रेस बस सात सीट जीतने में ही कामयाब रही, जबकि समाजवादी पार्टी के खाते में 47 सीटें आईं। एसपी ने 298 जबकि कांग्रेस ने 105 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए थे। इस चुनाव में बीएसपी को 19 जबकि बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों को 325 सीटें मिलीं।

राम गोपाल ने किसी का सीधे तौर पर नाम तो नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा शिवपाल यादव की ओर था। बता दें कि चुनावों से पहले अखिलेश और शिवपाल के बीच लंबी खींचतान चली थी। अखिलेश ने अपने पिता मुलायम और शिवपाल को हाशिए पर ढकेलते हुए पार्टी पर अपना नियंत्रण जरूर हासिल कर लिया, लेकिन शिवपाल और उनकी तल्खी से जुड़ी खबरें लगातार सामने आती रहीं। परिवार और पार्टी से जुड़े इस विवाद में राम गोपाल अखिलेश के साथ खड़े नजर आए, जबकि मुलायम और शिवपाल दूसरी तरफ थे।राम गोपाल अखिलेश के लिए बड़े फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ही पार्टी का अधिवेशन बुलाया, जिसमें मुलायम को बेदखल करके अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। राम गोपाल ही पार्टी के झगड़े को चुनाव आयोग के पास ले गए। इसके बाद ही आयोग ने अखिलेश के समर्थन में फैसला दिया और पार्टी के चुनाव चिह्न साइकल पर अखिलेश के दावे पर मुहर लगाई।

दोनों खेमों के बीच की तल्खी चुनाव प्रचार और नतीजों के बाद तक नजर आई। जहां पार्टी के सबसे बड़े नेता मुलायम ने अखिलेश के लिए कोई चुनाव प्रचार नहीं किया, वहीं चुनाव हारने के बाद शिवपाल ने कहा कि यह समाजवादी पार्टी की नहीं, बल्कि घमंड की हार है। मुलायम ने सिर्फ शिवपाल और अपनी छोटी बहू अपर्णा के लिए प्रचार किया था। वह इस बात से भी नाराज थे कि उनकी राय को नजरअंदाज करके अखिलेश ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का फैसला किया। चुनावी नतीजों के बाद मुलायम ने यह बात दोहराई कि अगर यह गठबंधन न होता तो एसपी जरूर सत्ता पर काबिज होती।

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