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सपा एक्शन में : प्रत्याशियों के चयन और गठजोड़ में व्यस्त

सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के नेताओं के बीच बंद कमरे में चर्चाओं का दौर चला। मसला उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के चयन और कांग्रेस के साथ गठजोड़ की औपचारिकताओं को पूरा करने का था। पहले चरण के चुनाव की प्रक्रिया के तहत नामांकन पत्रा भरने की शुरूआत हो चुकी है।
सपा एक्शन में : प्रत्याशियों के चयन और गठजोड़ में व्यस्त

साथ ही सपा नेतृत्व पार्टी से निकाल दिये गये अखिलेश यादव के वफादारों की वापसी के औपचारिक फैसले की प्रक्रिया में भी है। चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री अखिलेश के खेमे को ही असल सपा माना है और उन्हें पार्टी का राष्टीय अध्यक्ष माना। साथ ही अखिलेश खेमे को साइकिल चुनाव निशान भी दे दिया।

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, हम प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप दे रहे हैं लेकिन साथ ही हमें कांग्रेस के साथ गठजोड को भी ध्यान में रखना है। सहयोगियों को भरोसे में लेने के बाद ही अंतिम सूची बाहर आएगी।

उन्होंने कहा कि सपा राष्टीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सभी पहलुओं पर विचार कर इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। अखिलेश ने शिवपाल यादव द्वारा निकाले गये युवा नेताओं को वापस लेने का भी फैसला किया है। जल्द ही उनका निष्कासन रद्द किया जाएगा। विधान परिषद सदस्य एवं अखिलेश के वफादार आनंद भदौरिया ने भाषा से कहा, नेताजी :मुलायम सिंह यादव: के आशीर्वाद से हमारा अखिलेश जी को एक बार फिर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का सपना और दृढ निश्चय है।

शिवपाल द्वारा निष्कासित भदौरिया से जब निष्कासन रद्द किये जाने की संभावना पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अब ये केवल औपचारिकता है। नेताजी पहले इस पर राजी हो गये थे और हमसे सपा की विजय के लिए काम करने को कह चुके हैं।

इस बीच, सपा में सुलह के बावजूद लोकदल को उम्मीद है कि मुलायम उसके साथ आएंगे। लोकदल का कहना है कि उसे अगले दो तीन दिन में कुछ होने की संभावना दिख रही है। लोकदल के राष्टीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने भाषा से कहा, मैंने मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की, जिनका उनके बेटे अखिलेश ने अपमान किया और जिनसे उनसे पार्टी छीन ली और मैंने उनसे :मुलायम: हमारी पार्टी का बैनर इस्तेमाल करने की पेशकश की है। बेटे से धोखा खाये मुलायम दुविधा में हैं। खुद की पार्टी छोडना स्वाभाविक तौर पर कडा फैसला है। भाषा

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