Advertisement

...तो क्‍या आप के अस्तित्‍व पर अब मंडराने लगे हैं बादल

लगता है भाजपा को देश के सारे चुनाव जीतने का वरदान सा मिल गया है। यूपी की रिकार्ड तोड़ जीत के बाद देशभर के उप चुनाव के परिणाम शायद इस ओर ही इशारा कर रहे हैं। परंपरागत दलीय व्‍यवस्‍था के बीच देश की राजधानी दिल्‍ली में वैकल्पिक राजनीति का चेहरा बनकर उभरे अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को भी इस बार भाजपा ने पटखनी दे दी है। दिल्‍ली की पंजाबी बाहुल्‍य राजौरी गार्डन सीट पर भाजपा ने अपना विजय परचम तो लहराया है, यह भाजपा और मोदी के युग में कोई बड़ी बात नहीं हो सकती लेकिन यहां से सत्‍ताधारी आप के प्रत्‍याशी की जमानत का जब्‍त होना दिल्‍ली की राजनीति की एक दूसरी तस्‍वीर अवश्‍य पेश कर रहा है।
...तो क्‍या आप के अस्तित्‍व पर अब मंडराने लगे हैं बादल

दिल्‍ली में अब दस दिनों बाद नगर निगम के चुनाव होने हैं। अभी यहां के तीन निगमों में भाजपा का कब्‍जा है। भाजपा अपने इस वर्चस्‍व को आगे कायम रखना चाहेगी। केंद्र में भाजपा और मोदी के सत्‍तासीन होने का भी पार्टी को दिल्‍ली के निगम चुनावों में फायदा होगा। दिल्‍ली भाजपा अध्‍यक्ष मनोज तिवारी जीत से खासे उत्‍साहित हैं। ईवीएम और अरविंद केजरीवाल के रुख के बाद राजौरी गार्डन में आप की हार पर उन्‍होंने व्‍यंग्‍य कसते हुए कहा है कि केजरीवाल चाहते हैं कि ईवीएम उनके लिए मनीष सिसोदिया की तरह कार्य करे।

दिल्‍ली के इस बदलते समीकरण के बीच हाशिए पर जा रही सत्‍ताधारी आप को अब निगम के चुनाव में एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा। राजौरी गार्डन सीट पर तीसरे नंबर पर रहकर आप के प्रत्‍याशी की जमानत के जब्‍त होने का मतलब अरविंद केजरीवाल एंड पार्टी को मिल बैठकर समझना होगा। उन्‍हें यह जानना होगा कि आखिर महज दो ढाई सालों में ही यहां की जनता उनसे अलग क्‍यों होते जा रही है। उन्‍हें बहस की राजनीति से निकलकर काम करने पर ध्‍यान देना होगा।

हार के बाद आप नेता संजय सिंह कहते हैं कि हमारे विधायक के सीट से बाहर जाने के बाद लोगों में नाराजगी थी। हमारी हार उसी का परिणाम है। सिंह का बयान संकेत है कि आप के नेताओं को दिल्‍ली पर पूरा ध्‍यान लगाने की अब आवश्‍यकता है। पार्टी ने अगर केजरीवाल को प्रधानमंत्री बनाने के फेर में दिल्‍ली के अलावा अन्‍य राज्‍यों में अब ध्‍यान लगाया तो समझिए 2018 का विधानसभा चुनाव आप के लिए ताबूत में अंतिम कील साबित होगा।  

आम आदमी पार्टी से लोगों में नाराजगी है राजौरी गार्डन का परिणाम यही कह रहा है। लोगों का कहना है कि जरनैल सिंह ने यह सीट छोड़कर लोगों का विश्वास छोड़ा है। यहां पर आम आदमी पार्टी को पिछले चुनाव में 55000 हजार वोट मिले थे। जरनैल सिंह पत्रकार रहे हैं और चिदंबरम के ऊपर जूता फेंका था। इन्होंने सिख दंगे के विरोध में यह काम किया था।

राजौरी गार्डन की जनता ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की तरह जरनैल सिंह पर भी भागने के आरोप लगाए हैं। इस सीट पर अरविंद केजरीवाल ने जनसभा कर लोगों से वोट देने की अपील भी की थी। आम आदमी पार्टी का कहना है कि हमने लोगों को समझाने की कोशिश की इसके बाद भी हार मिली। पार्टी ने परोक्ष रूप में हार को स्वीकारते हुए कहा कि लोगों ने हमारी बात को माना नहीं है। उप मुख्‍यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि अब हमारा ध्‍यान निगम चुनाव पर है। निगम में हम अपनी भागीदारी देकर स्‍थानीय विकास में अपना पूरा सहयोग देंगे। सिसोदिया ने कहा कि पिछले दो साल के काम  के आधार पर पार्टी निगम का चुनाव लड़ रही है। उम्‍मीद है हम निगम में जीत हासिल करेंगे। पार्टी के नेता हमशा आशावान रहें, यह राजनीति में आवश्‍यक है। लेकिन पार्टी को निगम चुनाव में अपने अस्तित्‍व को बचाने के लिए काफी कड़ी मशक्‍कत करनी पड़ेगी। निगम चुनाव में अगर आप को हार मिली तो दोबारा जनता के बीच लोकप्रिय होना मुश्किल होगा। शायद असंभव भी।  

यूपी के बाद इस उप चुनाव में राजौरी गार्डन की सीट काफी अहम मानी जा रही थी। भाजपा, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के बीच यहां सीधा त्रिकोणीय मुकाबला था। यह सीट जहां आम आदमी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल थी, वहीं यूपी के परिणामों से उत्साहित भाजपा इस सीट के जरिए अपना विजय रथ आगे बढ़ाने की जद्दोजहद में थी। पंजाब में सफलता का परचम लहराने वाली कांग्रेस भी इस पंजाबी-सिख बहुल सीट पर जीत को लेकर आशान्वित थी।

दिल्ली नगर निगम चुनाव से पहले इस उपचुनाव का परिणाम काफी अहमियत रखता है। भाजपा को जीत मिली है। कहा भी गया है कि जीत विश्‍वास की एक बड़ी पूंजी है। स्‍वाभाविक है निगम चुनाव में भाजपा का मनोबल बढ़ा रहेगा। आप को भी हौसला कायम रखते हुए विकास का वादा करते हुए निगम के चुनावी समर में जाना चाहिए।  

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement