Advertisement

अपमान झेलने के बाद भी अंबेडकर ने देश नहीं छोड़ा: राजनाथ

आज संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान की प्रस्‍तावना पर विवादित बयान देकर माहौल गरमा दिया।
अपमान झेलने के बाद भी अंबेडकर ने देश नहीं छोड़ा: राजनाथ

पहले संविधान दिवस के मौके पर लोकसभा में चर्चा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के संविधान की रचना करने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने कभी यह नहीं सोचा कि मुझे जो अपमान झेलने को मिल रहा है तो मैं देश छोड़ कर कही और चला जाऊंगा। वे कभी देश छोड़ कर नहीं गए। उनका इशारा संभवत: हाल में दिए गए अभिनेता आमिर खान के बयान की ओर था। 

राजनाथ सिंह ने आज सेकुलरिज्‍म यानी धर्मनिरपेक्षता शब्‍द पर भी तीखे प्रहार किए। उन्‍होंने कहा कि आज की राजनीति में अगर किसी शब्‍द का सबसे ज्‍यादा दुरुपयोग हुआ है तो वह 'सेकुलरिज्‍म' शब्द है। यह राजनीतिक हित साधने का औजार बन गया है। देश में 'सेकुलरिज्‍म' शब्द का हिंदी अनुवाद आम तौर पर 'धर्मनिरपेक्षता' किया जाता है जो गलत है। धर्मनिरपेक्षता शब्द का प्रयोग बंद होना चाहिए, इसके स्थान पर पंथ निरपेक्षता का इस्तेमाल होना चाहिए। बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान की प्रस्‍तावना में 'सेकुलर' शब्‍द का इस्‍तेमाल नहीं किया था। क्‍योंकि भारत परंपरा से ही पंथनिरपेक्ष है। गृह मंत्री की इन बातों पर विपक्ष ने कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए संसद में हंगामा खड़ा कर दिया।

भारत के संविधान के प्रति प्रतिबद्धता विषय पर दो दिवसीय चर्चा की शुरूआत करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि 42वें संविधान संशोधन के जरिए संविधान की प्रस्तावना में 'सेकुलर' और 'सोशलिस्ट' शब्द बाद में जोड़े गए हैं। उन्होंने परोक्ष रूप से इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इन शब्दों को डॉ. भीमराव अम्बेडकर संविधान निर्माण के समय ही शामिल कर सकते थे। लेकिन उन्होंने इसकी जरूरत नहीं समझी थी क्योंकि ये सब चीजें पहले से ही हिंदुस्तान की विशेषताओं का हिस्सा हैं।

लोकसभा की चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में जो कुछ देखने को मिला है, वह पूरी तरह से उन भावनाओं के खिलाफ है जिन्हें संविधान में सुनिश्चित किया गया है। सोनिया गांधी ने सत्ता पक्ष पर प्रहार करते हुए कहा कि जिन लोगों को संविधान में कोई आस्था नहीं रही, न ही इसके निर्माण में जिनकी कोई भूमिका रही है, वो इसका नाम जप रहे है। 

संवाद का सबसे बड़ा केंद्र संसद: पीएम मोदी 

इससे पहले संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चर्चा, बहस और संवाद ही संसद की आत्‍मा हैं। संसद से बड़ा संवाद को कोई दूसरा केंद्र नहीं हो सकता। आज शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद दोनों सदनों में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस साल डॉ. अंबेडकर की 125वीं जयंती भी मनाई जा रही है। 

आरक्षण पर दी सफाई 

आरक्षण के मुद्दे पर सफाई देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि इस पर किसी भी तरह की बहस की जरूरत नहीं। बाबा साहब अंबेडकर ने बहुत सोच समझक सबको बराबरी के लिए आरक्षण का सिद्धांत दिया था। यह एक सामाजिक-राजनैतिक जरूरत है। उन्होंने यह भी साफ किया कि आरक्षण एक संवैधानिक मसला है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। राजनाथ सिंह ने पुलिस और अर्ध सैनिक बलों में महिलाओं को 25 फीसदी आरक्षण देने की बात भी दोहराई है। 

 
 
 

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad