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नोटबंदी के बाद विपक्षी एकता को साधने 27 को सोनिया ने बुलाई बैठक

नोटबंदी के बाद बदलते राजनीतिक हालात को अपने पक्ष में करने की कोशिश में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 27 दिसंंबर को विपक्षी दलोंं की एक बैठक बुलाई है। सोनिया गांधी ने नोटबंदी के बाद विपक्षी एकता को और धारदार करने की दिशा में यह पहल खुद अपने स्तर पर शुरू की है। मीटिंग के बाद सभी दल संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर सकते हैं।
नोटबंदी के बाद विपक्षी एकता को साधने 27 को सोनिया ने बुलाई बैठक

सूत्रों के अनुसार, सोनिया ने यह पहल राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के नेताओं की पीएम मोदी के साथ हुई बैठक के बाद विपक्षी नेताओं की निराशा के बाद की है। इस मीटिंग के बाद विपक्षी दलों की एकता की कोशिश को करारा झटका लगा था।सूत्रों के अनुसार, इस मीटिंग के लिए सोनिया गांधी ने खुद अपने स्तर पर सभी दलों के नेताओं को फोन करने के अलावा निमंत्रण पत्र भी भेजा है।

अहमद पटेल इस आयोजन को कोआॅर्डिनेट कर रहे हैं। यह मीटिंग कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में हो सकती है। जिन नेताओं ने इसमें शामिल होने पर सहमति दी है, उनमें ममता बनर्जी, जेडीयू के शरद यादव, आरजेडी नेता लालू प्रसाद, सीपीएम के सीताराम येचुरी के अलावा जेडीएस और एयूडीएफ के नेता भी शामिल हैं।

सूत्रों के अनुसार, इस मीटिंग का अजेंडा विपक्षी एकता को मजबूत कर सभी को एक मंच पर लाना है। मीटिंग में नोटबंदी के बाद देश में उपजे हालात पर चर्चा होगी। इसके साथ ही संयुक्त रूप से घोषणा की जाएगी कि सभी विपक्षी दल मुद्दों पर एक साथ आवाज उठाएंगे और इसके लिए कॉमन मिनिमम अजेंडा को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसका असर बजट सत्र के अलावा दूसरे राज्यों की राजनीति पर भी पड़ सकता है।

हालांकि, सोनिया गांधी की इस पहल के बावजूद अब भी विपक्षी एकता को आंशिक सफलता ही मिलती दिख रही है। सूत्रों के अनुसार, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने इसमें आने से इनकार कर दिया है। बीएसपी का भी आना अभी तय नहीं माना जा रहा है। इन दलों के नहीं आने से कांग्रेस की कोशिश को झटका जरूर लग सकता है। इसके बावजूद कांग्रेस के सीनियर नेता सभी दलों के नेताओं को मनाने में जुटे हुए हैं।

कांग्रेस का मानना है कि अगर कुछ नेता नहीं आए तो भी आगे के लिए रास्ता खुला रहेगा और जो पहल 27 दिसंबर की मीटिंग के बाद होगी उसे आगे भी जारी रखा जाएगा। सूत्रों के अनुसार, जो नेता नहीं आएंगे उनसे भी कॉमन मिनिमम अजेंडा बनाने से पहले राय ली जाएगी ताकि भविष्य में उनका इस मोर्चे से जोड़ने का विकल्प खुला रहे। दरअसल, जिस तरह राहुल के नेतृत्व में कांग्रेसी नेताओं ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी उसके बाद विपक्षी नेताओं के अलावा खुद कांग्रेस के कुछ सीनियर नेता नाराज हुए।

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