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नोटबंदी आर्थिक पागलपन: राहुल

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किए गए नोटबंदी के फैसले को आर्थिक पागलपन करार दिया है। एक बड़े हिंदी अखबार को दिए इंटरव्यू में राहुल ने कहा है कि ऐसा दुनिया में किसी सरकार ने नहीं किया।
नोटबंदी आर्थिक पागलपन: राहुल

उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना किसी से पूछे, बिना बात को समझे हिंदुस्तान की 86 फीसदी करेंसी को रद कर दिया। शायद दुनिया में इतना बड़ा आर्थिक प्रयोग कभी किसी ने नहीं किया और उम्मीद है कि कभी कोई करेगा भी नहीं। यह आर्थिक पागलपन है। किसी भी अर्थशास्त्री से पूछ लीजिए, किसी छोटे दुकानदार से, किसान से, मजदूर से, किसी महिला से पूछ लीजिए। जो अर्थशास्त्र को नहीं भी समझता है उससे पूछ लीजिए। वो भी बता देगा। एक बच्चा भी बता देगा कि 86 फीसदी करंसी को रद्द करना कैसी आर्थिक रणनीति है। अरे कौन सी दुनिया में रह रहे हैं आप। फिर कह रहे हैं कि हमने गरीबों के भले के लिए किया। आप प्रधानमंत्री हैं। आप उत्तर प्रदेश के किसी छोटे दुकान में चले जाइए। पूछिए फायदा हुआ कि नहीं, लोग बता देंगे।

उन्होंने सरकार की आर्थिक नीति पर भी सवाल खड़े किए। राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुस्तान को एक संतुलित नजरिये से देखने की जरूरत है। इसमें किसान की जगह है। मजदूर की जगह है। छोटे दुकानदार की जगह है। व्यवसायी की जगह है। उद्योगपति की जगह है। सबकी जगह है। जहां भी तकलीफ हो वहां सरकार को अपना हाथ बढ़ाकर मदद करनी चाहिए। समस्या यह है कि जो हमारी अभी की सरकार है वो सुनती नहीं है। दर्द को पहचानती नहीं है। सिर्फ बोलती है। अपने मन की बात करती रहती है लेकिन किसान की बात सुनने की फुर्सत नहीं है। पूरे हिंदुस्तान के छोटे और मंझोले उद्योगों को आपने खत्म कर दिया। ऊपर से आप हंस रहे हैं और मजे ले रहे हो। आपके दिल में दर्द नहीं है, संवेदनशीलता नहीं है।

यह पूछे जाने पर कि वह अपनी छवि कैसी बनानी चाहते हैं, नेहरू, बापू या राजीव गांधी जैसी या कुछ खास? तो राहुल ने कहा कि इन नेताओं को किसी खास छवि में बांधना गलत है। राहुल ने कहा कि गांधी जी की सिर्फ बापू या नेहरू जी की सिर्फ चाचा नेहरू की ही छवि नहीं है । सभी बड़े नेताओं का व्यक्तित्व विराट होता है और उनका मूल उद्देश्य होता है देश की सेवा करते हुए अपना जीवन समर्पित करना। उनकी पूरी जिंदगी को सिर्फ एक तरह की छवि में कैद कर देना भी ठीक नहीं है। गांधी जी को सिर्फ एक छवि तक सीमित नहीं किया जा सकता है। उनका व्यक्तित्व इतना विशाल और व्यापक है कि उसे आसानी से परिभाषित करना संभव नहीं है। गांधी जी ने अपनी पूरी जिंदगी मानवता और देश को दे दी।

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