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मप्र में स्थानीय नेताओं पर भारी ‘बाहरी’

यूं तो हर राज्यसभा में होता है कि वहां से सांसद होने के लिए भौगोलिक सीमाएं पत्थर पर खींची हुई लकीर नहीं होती हैं। फिर भी मध्य प्रदेश कुछ मायनों में अलग है। तमिलनाडु के पार्टी अध्यक्ष इला गणेशन के मध्य प्रदेश से राज्यसभा में नामित होने के बाद कई स्थानीय नेता और दूसरे उत्तर भारतीय नेताओं के मंसूबों पर पानी फिर गया।
मप्र में स्थानीय नेताओं पर भारी ‘बाहरी’

भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने जैसे ही मध्य प्रदेश खाते से राज्यसभा में जाने के लिए इला गणेशन के नाम की घोषणा की वैसे ही पहले आश्चर्य और बाद में हल्की मायूसी छा गई। खाली हुई सीट के लिए सबसे तगड़े दावेदार कद्दावर नेता और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को माना जा रहा था। बीच में शहनवाज हुसैन के नाम की भी चर्चा थी।

इला गणेशन के आने के बाद अब राज्यसभा में कुल तीन ‘बाहरी’ सांसद हो गए हैं। इला गणेशन से पहले एम जे अकबर और प्रकाश जावड़ेकर मध्य प्रदेश से ही राज्यसभा पहुंचे हैं। इस सूचना के बाद एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना था, मध्य प्रदेश तो आसानगाह है। यहां से मध्य प्रदेशियों को छोड़ कर बाकी लोगों को तवज्जो दी जाती है।

वैसे यह पहली बार नहीं है कि मध्य प्रदेश से दक्षिण का पहला नेता राज्यसभा पहुंचा है। इससे पहले केरल से भाजपा नेता ओ. राजागोपाल मध्य प्रदेश के खाते से राज्य सभा पहुंचे थे। वह सन 1992 और 2004 में यहां से राज्यसभा सांसद थे। राजागोपाल अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री भी थे। 

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