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यादव सिंह प्रकरण से झुक गए मुलायम

संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस के साथ खड़ी समाजवादी पार्टी की ओर से अचानक पैतरा बदलने से हर कोई हैरान हो गया। सपा कई मुद्दों पर कांग्रेस का साथ दे रही थी। इससे कांग्रेसी नेता उत्साहित होकर संसद में हंगामा करते रहे। पच्चीस सांसदों के निलंबन के बाद धरने पर बैठे कांग्रेसी नेताओं का साथ सपा ने भी दिया।
यादव सिंह प्रकरण से झुक गए मुलायम

 लेकिन सत्र के आखिरी दिनों में अचानक सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस को निशाने पर ले लिया। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुश होकर सपा प्रमुख की तारीफ भी की। लेकिन विश्वस्त सूत्रों की मानें तो सपा प्रमुख की तारीफ के पीछे की असली वजह है यादव सिंह। नोएडा अथॉरिटी में इंजीनियर यादव सिंह करोड़ों रूपये के घोटाले के आरोपी हैं। जिसकी जांच सीबीआई कर रही है। इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी फटकार मिल चुकी है।

ऐसे में मुलायम केंद्र सरकार के खिलाफ किसी तरह का मोर्चा नहीं खोलना चाहते। सूत्रों की मानें तो सपा प्रमुख के अचानक बदलने के पीछे सीबीआई का डर है। ञ्चयोंकि आय से अधिक संपîिा का एक मामला अभी चल रहा है और दूसरे मामले का दांव कहीं उलटा न पड़ जाए इसलिए उन्होने कांग्रेस को नसीहत दे डाली। मुलायम ने संसद में जारी गतिरोध पर नाखुशी भी जताई। इससे साफ हो गया कि मुलायम सिंह अब कांग्रेस का साथ देने वाले नहीं हैं। वैसे मुलायम सिंह के पलटने का यह कोई पहला मामला नहीं है।

इससे पहले परमाणु करार को लेकर मुलायम वामदलों का साथ छोडक़र कांग्रेस के साथ खड़े हो गए। साल 2012 में राष्ट्रपति के चुनाव में तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के प्रणब विरोधी रूख को देखते हुए पलट गए थे। इसी तरह 2002 के राष्ट्रपति के चुनाव में वामदलों से मशवरा किए बिना अचानक एपीजे अद्ब्रदुल कलाम का नाम प्रस्तावित कर दिया इससे वाम समर्थित लक्ष्मी सहगल की हार तय हो गई थी।

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