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केरल में कांग्रेस से दूर होते मणि

केरल में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस नीत संयुक्त मोर्चा (यूडीएफ) की हालत खस्ता है। विधानसभा में संख्या बल पहले ही कम है और अब मोर्चे के तीसरे सबसे बड़े घटक केरल कांग्रेस (मणि गुट) की नाराजगी ने मोर्चे का संकट और बढ़ा दिया है।
केरल में कांग्रेस से दूर होते मणि

बताया जाता है कि पार्टी के नेता के.एम. मणि छह और सात अगस्त को कोट्टायम के निकट चरल कुन्नु में आयोजित होने वाले पार्टी के प्रतिनिधियों के राज्य सम्मेलन के बाद कोई भी कड़ा फैसला ले सकते हैं, यहां तक कि मोर्चा छोड़ने की घोषणा भी की जा सकती है। दरअसल जब राज्य में संयुक्त मोर्चा की सरकार थी तब शराब-रिश्वत कांड को लेकर मणि को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी की बड़ी हार हुई। इन दोनों का ठीकरा केरल कांग्रेस (मणि) कांग्रेस के सिर फोड़ रही है। मणि कांग्रेस से इतने नाराज हैं कि वह अपने विधायकों से सलाह-मशविरा कर सदन में अलग बैठने की बात लगभग तय कर चुके हैं। हालांकि पार्टी अब भी इसे लेकर असमंजस में है कि सदन में और बाहर कांग्रेस और संयुक्त मोर्चे के प्रति क्या रुख अपनाना चाहिए। इस बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता एस.एम. जेकब ने कहा है कि अगर केरल कांग्रेस (मणि) मोर्चे से अलग होने का फैसला करती है तो बेहतर होगा कि पहले वह अपने विधायकों का इस्तीफा करवा दे क्योंकि उसके विधायक मोर्चे के संग मिलकर लड़े और जीते हैं।

केरल कांग्रेस के मुखपत्र मासिक 'प्रतिच्छाया' के नवीनतम अंक में कहा गया है कि जिस प्रकार कांग्रेस में पी.टी. चाको के खिलाफ षड्यंत्र रचकर उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था, जब कि उनमें मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी( और इसी कारण कांग्रेस से अलग होकर पी.टी.चाक्को के नेतृत्व में केरला कांग्रेस का गठन हुआ था) उसी प्रकार मणि के खिलाफ भी शराब रिश्वत का षड्यंत्र रचा गया और उन पर भी वार किया गया है और मणि को भी इस्तीफा देना पड़ा, जब कि उनमें भी मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। कांग्रेस के के.पी.सी. अध्यक्ष वी.एम. सुधीरन और विपक्षी नेता रमेश चेन्नित्तला ने पूर्व मुख्यमंत्री ओम्मन चांडी को मणि से चर्चा कर समस्या का हल निकालने का दायित्व सौंपा है। दिल्ली में, हाई-कमान के सामने इन तीनों नेताओं के साथ, केरल में पार्टी के पुनर्गठन-संबंधी चर्चाओं के बीच इस विषय पर भी चर्चा की संभीवना है।

वैसे लगता है कि मणि कोई कड़ा निर्णय ले चुके हैं और इस विषय में किसी से कोई समन्वय- चर्चा नहीं चाहते। वे कुछ दिनों से मेडिटेशन में हैं और आज उनके लौटने की चर्चा है। उन्होंने अपना मोबाइल फोन भी स्विच-ऑफ कर रखा है। महीने के छह और सात तारीख को चरल कुन्नु के पार्टी राज्य सम्मेलन के बाद ही वे अपने कड़े निर्णय औपचारिक रूप से घोषित करेंगे। वैसे अब भी कांग्रेस को यही उम्मीद है कि मणि उसका साथ नहीं छोड़ेगे।

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