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122 विधायकों के समर्थन से पलानीसामी ने जीता विश्वास मत, सदन में जमकर हंगामा

तमिलनाडु में ई पलानीसामी सरकार ने विश्वास मत जीत लिया है। विधायकों द्वारा हंगामा, मार-पीट, कुर्सियां तोड़े जाने आदि की हरकतों और दो बाद सदन स्‍थगित होने के बीच हुए मतदान में पलानीसामी के पक्ष में 122 विधायकों ने वोट डाला। विधानसभा की सीटिंग व्यवस्‍था को छह खंडो में बांटकर एक-एक कर वोटिंग कराई गई।
122 विधायकों के समर्थन से पलानीसामी ने जीता विश्वास मत, सदन में जमकर हंगामा

तमिलनाडु विधानसभा में शर्मसार लोकतंत्र, विधायकों ने तोड़ी कुर्सियां, हंगामा

पन्नीरसेल्वम समर्थक विधायक और डीएमके के विधायकों ने सदन में स्पीकर पी धनपाल से गुप्त मतदान कराने की मांग की मगर उन्होंने इससे मना कर दिया जिसके बाद इन विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। बाद में विपक्ष के विधायकों को मार्शल के जरिये बाहर निकाला गया। इस हंगामे के  कारण सदन की कार्रवाई पहले एक बजे तक और उसके बाद दोपहर तीन बजे तक के लिए स्‍थगित करनी पड़ी। बाद में हंगामा कर रहे द्रमुक और कांग्रेसी विधायकों को सदन से बाहर निकालकर वोटिंग कराई गई और इसमें पलानीसामी को 122 जबकि पन्नीरसेल्वम को 11 वोट मिलने की घोषणा की गई।

इससे पहले, ई. पलानीस्वामी की सरकार द्वारा लाए गए इस अहम विश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले तमिलनाडु विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने भारी हंगामा कर कार्यवाही को बाधित कर दिया। मामले के बढ़ जाने पर विधानसभा अध्यक्ष पी. धनपाल मार्शलों के साथ विधानसभा से निकल गए। इस हंगामे के बीच कार्यवाही बाधित हो गई। कुछ विपक्षी सदस्यों ने गुप्त मतदान की मांग की थी।

दो दिन पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले पलानीस्वामी को राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया था लेकिन उन्होंने आज ही अपना बहुमत साबित करने का विकल्प चुना। कोयंबटूर उत्तर के विधायक अरूण कुमार की ओर से मतदान में अनुपस्थित रहने की घोषणा किए जाने पर विद्रोही ओ पनीरसेल्वम खेमे को बल मिला था। इससे पहले मेलापोर के विधायक और पूर्व डीजीपी आर नटराज ने सरकार के खिलाफ मतदान का फैसला किया था। इन दोनों के फैसले के बाद पलानीस्वामी खेमे के पास अब एक रिक्ति वाले 234 सदस्यीय सदन में 122 विधायक रह गए हैं। द्रमुक प्रमुख एम. करुणानिधि खराब स्वास्थ्य के चलते सदन में मौजूद नहीं थे। वहीं, पनीरसेल्वम के खेमे ने सेम्मलई को विधानसभा में पार्टी का सचेतक नियुक्त किया है और इस संदर्भ में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेज दिया है।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि तमिलनाडु विधानसभा में अफरातफरी के बीच उनकी कमीज़ फाड़ दी गई और उनकी बेइज़्जती की गई। हालांकि दूसरी ओर द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने कहा है कि विधानसभा में उनके साथ धक्कामुक्की की गई और उनके कपड़े फाड़ दिए गए। तमिलनाडु में शक्ति परीक्षण के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र में विधायकों ने 'शक्ति' का कुछ ऐसा प्रदर्शन किया कि सारी मर्यादाएं तार-तार हो गईं। गुप्त मतदान की मांग को लेकर विधानसभा के अंदर मेज, कुर्सियां और माइक तोड़ दिए गए। इस दौरान जमकर हाथापाई भी हुई, जिसमें विधानसभा का एक कर्मचारी घायल हो गया। शशिकला धड़े के विधायकों को छोड़कर एकजुट हुए सभी विपक्षी सदस्यों ने गुप्त मतदान के जरिये फैसला करने की मांग की थी। स्पीकर ने इस मांग को खारिज कर दिया, जिस पर डीएमके और बाकी विपक्षी विधायक भड़क गए।
हंगामा करते हुए विधायक सदन के वेल तक पहुंच गए। गुप्त मतदान की मांग कर रहे डीएमके विधायक कागज फाड़ने लगे। वे सदन में रखी कुर्सियां फेंकने लगे और माइक्रोफोन तोड़ डाले। डीएमके के विधायक पी अलादि अरुन बेंच पर चढ़कर नारेबाजी करने लगे। कुछ विधायक स्पीकर का घेराव करने लगे। डीएमके विधायक कूका सेल्वम तो विरोध जताते हुए स्पीकर की कुर्सी पर ही बैठ गए। स्पीकर को सुरक्षाकर्मियों की निगरानी में बाहर ले जाया गया। सदन से बाहर आने के बाद डीएमके नेता स्टालिन ने दावा किया कि उनके साथ हाथापाई की गई है। जब वे सदन से बाहर निकले तो उनके शर्ट के बटन खुले हुए थे। डीएमके विधायकों ने आरोप लगाया कि हाथापाई उन्होंने नहीं, बल्कि उनके साथ हुई है। स्टालिन ने आरोप लगाया कि स्पीकर ने अपनी शर्ट खुद फाड़ ली और उनके विधायकों पर आरोप मढ़ दिया। स्टालिन ने कहा, 'हम गुप्त मतदान की अपनी मांग को दोहराते हैं।'

विधानसभा में द्रमुक के साथ-साथ कांग्रेस के विधायकों ने भी गुप्त मतदान की मांग की। हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि सदन में सभी पार्टियों को अध्यक्ष के फैसले का सम्मान करना चाहिए। 

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