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राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्ष को एक करने में जुटीं सोनिया गांधी

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सक्रियता में काफी कमी आ गई थी। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी वे फ्रंट पर नहीं दिखीं। लेकिन अब राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने में उनकी सक्रियता साफ देखी जा रही है।
राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्ष को एक करने में जुटीं सोनिया गांधी

बृहस्पतिवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस बैठक में विपक्षी एकता पर चर्चा के अलावा राष्ट्रपति के लिए साझा उम्मीदवार खड़ा करने पर भी बातचीत हुई है। फिलहाल विपक्ष की ओर से किसी साझा उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनना सबसे ज्यादा जरूरी है। इस मामले में सोनिया गांधी की सक्रियता काम आ सकती है।

शरद पवार से भी हुई बातचीत 

इस वर्ष जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी हलचल बढ़ गई है। नीतीश कुमार के अलावा सोनिया गांधी ने सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी से भी मुलाकात की है। कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी अध्यक्ष विपक्ष के कई नेताओं से संपर्क साध रही हैं। उनकी फोन पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीपीआई के डी. राजा और जदयू के शरद यादव से बातचीत हो चुकी है। 

जनता दल (युनाइटेड) के नेता केसी त्यागी का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार उतारने के प्रयासों का नेतृत्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को करना ही चाहिए। लालू प्रसाद यादव और शरद यादव भी जल्द सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं।   

येचुरी, ममता और लालू विपक्ष को लामबंद करने में जुटे 

भाजपा के खिलाफ विपक्ष को लामबंद करने और राष्ट्रपति चुनाव के मद्देेेेनजर सीपीएम के सीताराम येेेेचुरी, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी कोशिशों में जुटे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा नीतीश कुमार इस सिलसिले में सीताराम येचुरी, बीजू पटनायक और एचडी देवगौड़ा से भी मिल चुके हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही क्षेत्रीय पार्टियों से एकजुट होने की अपील कर चुकी हैैं। 

सोनिया गांधी की सक्रियता, कांग्रेस के लिए भी संकेत 

काफी दिनों से अपनी खराब तबीयत से जूझ रही पार्टी प्रमुख का अचानक सक्रिय होना कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाएगा। उत्तर प्रदेश की नाकामी से उबरने के लिए पार्टी को नेतृृृृत्व की किसी बड़ी पहल का इंतजार है। जिस तरह दिल्ली में अरविंदर सिंह लवली और बरखा सिंह जैसे नेता पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा के पाले में जा रहे हैं, उससे कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ गई हैं।

अब तक कांग्रेस के नेता मानकर चल रहे थे कि पार्टी की पूरी जिम्मेदारी जल्द ही राहुल गांधी को दी जाएगी और सोनिया गांधी मार्गदर्शक की भूमिका में रहेंगी। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव से पहले सोनिया गांधी का सक्रिय होना, एक बड़ा संदेश देता है। इसमें कांग्रेस नेृतत्व की भावी रणनीति के संकेत तलाशे जा सकते हैं।

 

 

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