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नोटबंदी : एटीएम-नकदी की कमी से भाजपा का दांव यूपी में कहीं उल्‍टा न पड़ जाए

पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी लाकर देशभर में भ्रष्‍टाचार मिटाने की जो कोशिश की है उसमें अब पलीता लगने की आशंका व्‍यक्‍त की जा रही है। जगह जगह बैंकों में लगी लाइनें और एटीएम में नकदी का अभाव लोगाें को परेशान कर रहा है। देश के सबसे बड़े राज्‍य उत्‍तर प्रदेश में तो हाल और बुरा है।
नोटबंदी : एटीएम-नकदी की कमी से भाजपा का दांव यूपी में कहीं उल्‍टा न पड़ जाए

यूपी में 19143 एटीएम हैं जो संख्‍या में दिल्ली में मौजूद एटीएम से दोगुने हैं। लेकिन राष्ट्रीय राजधानी के मुकाबले यूपी में लगभग 20 गुनी बड़ी आबादी उन एटीएम से पैसे निकालने के लिए जूझ रही है। इसे देखते हुए लग रहा है कि अगर नए साल में भी स्थिति नहीं सुधरी तो 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की संभावनाओं को नोटबंदी से धक्‍का लग सकता है।

प्रदेश के एक वरिष्ठ राजनेता ने कहा कि लखनऊ का आदमी मौज और आराम में रहता है। उसे लाइन में खड़ा होना पसंद नहीं है। यही हाल अगर दो-तीन हफ्ते और रहा तो वह घर बैठ जाएगा तथा भाजपा को वोट नहीं देगा। उन्होंने कहा कि राज्य के खुफिया विभाग ने सरकार को रिपोर्ट्स दी हैं कि आरएसएस के लोग लाइनों में खड़े हो जा रहे हैं और लोगों पर दबाव बना रहे हैं कि वे इस नोटबंदी की आलोचना न करें।

गौर हो कि यूपी में करीब 18000 बैंक शाखाएं और 19413 एटीएम हैं, जिन पर 20 करोड़ से ज्यादा लोग निर्भर हैं। दिल्ली में लगभग 1.2 करोड़ की आबादी पर 9070 एटीएम जबकि महाराष्ट्र में 11 करोड़ की आबादी के लिए लगभग 25,000 एटीएम हैं। यूपी के एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) दलजीत सिंह चौधरी ने कहा, 'असल दिक्कत यह है कि बैंकों में कैश ही नहीं है। हमारे पास रिपोर्ट्स हैं कि कस्बों और ग्रामीण इलाकों में 400 से ज्यादा लोग लाइनों में खड़े थे और अचानक घोषणा कर दी गई कि कैश खत्म हो गया। इस पर लोगों ने गुस्सा जताया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिक्कत ज्यादा है।' चौधरी ने कहा कि यूपी के पुलिस बल के लगभग 25% यानी करीब 40,000 पुलिसकर्मियों को सुरक्षा के लिए बैंकों पर तैनात किया गया है।

चुनाव से पहले सपा और बसपा की नजर भाजपा के खिलाफ लोगों के इस गुस्से पर है। मायावती, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव लगातार नोटबंदी को लेकर भाजपा पर हमला बोल रहे हैं। यूपी सरकार ने बैंकों के सामने कतारों में मरने वालों के परिजन के लिए 2 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान भी किया है, जो अभी तक किसी राज्य सरकार ने नहीं किया है। कांग्रेस ने अखिलेश के कदम का स्वागत किया है, वहीं भाजपा इसे तुष्टीकरण की राजनीति बता रही है।

भाजपा के एक वरिष्‍ठ नेता ने हालांकि कहा, 'शहरी इलाकों के मुकाबले गांवों में भाजपा के लिए ज्यादा दिक्कत है। मोदी का जलवा शहरों में कायम है। समय बीतने के साथ गांवों में नुकसान बढ़ सकता है। सपा के एक नेता ने कहा, 'गांव का कम पढ़ा-लिखा आदमी डेबिट कार्ड यूज करना नहीं जानता है। वह धोखेबाजी का शिकार हो सकता है। बुआई का सीजन प्रभावित हुआ है।

 

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