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वशिष्ठ एनकाउंटर में पुलिस की थ्योरी संदेह के घेरे में

दिल्ली के चर्चित मनोज वशिष्ठ एनकाउंटर मामले में यह रहस्य गहराता जा रहा है कि दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने बचाव में गोली चलाई या जान-बूझकर गोली मारी गई। अभी तक पुलिस की ओर से जो कहानी गढ़ी गई है उसके मुताबिक पुलिस वशिष्ठ को गिरफ्तार करने गई थी लेकिन उसने गोली चलाई उसके जवाब में पुलिस को गोली चलानी पड़ी जो कि व‌शिष्ठ को लगी। कुछ प्रत्यदर्शियों ने भी इस बात की पुष्टि की है। लेकिन सवाल यह है कि वशिष्ठ ने जब गोली चलाई तो सीसीटीवी फुटेज में वह क्यों नहीं दिखाई पड़ रहा है।
वशिष्ठ एनकाउंटर में पुलिस की थ्योरी संदेह के घेरे में

इस एनकाउंटर की जांच के लिए केंद्र सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। जबकि दिल्ली सरकार ने मजिस्ट्रेट से जांच के आदेश दिए है।  वशिष्ठ के परिजन सरकार से सीबीअाई जांच की मांग कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस के सेंट्रल रेंज के संयुक्त आयुक्त एस.के. गौतम की देखरेख में यह एसआईटी बनाई गई है। एसआईटी घटनास्थल की जांच कर पूरे एनकाउंटर के सीन को दोबारा रचने का प्रयास कर सच्चाई का पता लगाने की कोशिश करेगी। यह जांच दल अपना काम बिना किसी दबाव के कर सके इसके लिए दिल्ली पुलिस ने इस कथित एनकाउंटर में शामिल सभी 9 पुलिस वालों का तबादला कर दिया है। उन्हें दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से बाहर कर दिया गया है।

शनिवार को दिल्ली के न्यू राजेंद्र नगर में पुलिस की स्पेशल टीम ने मनोज का एनकाउंटर किया था। पुलिस के अनुसार मनोज वशिष्ठ पर दिल्ली और पंजाब में चीटिंग और चेक बाउंस के केस दर्ज थे। आरोप है कि उन्होंने चीटिंग से पैसा कमाने के बाद राजनीति में हाथ आजमाया। वशिष्ठ पर मर्डर, हत्या की कोशिश, डकैती या फिरौती वसूलने जैसा कोई केस नहीं था। 

इस बीच पता चला है कि नवगठित एसआईटी ने घटना स्‍थल सागर रत्ना रेस्टोरेंट की सीसीटीवी फुटेज को अपने कब्जे में ले लिया है और उससे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर पहली गोली किसने चलाई। मीडिया रपटों में घटना के प्रत्यक्षदर्शियों को यह दावा करते बताया गया है कि पहली गोली वशिष्ठ की तरफ से चली थी मगर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ये प्रत्यक्षदर्शी एनकाउंटर में शामिल पुलिसवालों के दबाव में आ गए हों। क्योंकि अभी तक होटल में काम करने वाले वेटरों से किसी प्रकार की पूछताछ नहीं की गई है। 

 

 विशेष शाखा के एक अधिकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के पाबला गांव का रहने वाला वशिष्ठ के खिलाफ धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं। लेकिन कहां दर्ज और किस प्रकार का मामला दर्ज है इस पर विशेष शाखा के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। क्योंकि धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार करने गई पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। मनोज के परिजनों के मुुताबिक धोखाधड़ी का मामला दर्ज था लेकिन इस बात के कोई सबूत नहीं थे कि धोखाधड़ी मनोज ने ही की थी। मनोज की पत्नी प्रियंका और भाई अनिल ने  पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया । उन्होंने दावा किया था कि वशिष्ठ खूंखार अपराधी नहीं था।

एजेंसी की खबर के मुताबिक  शनिवार रात को एक वांछित व्यक्ति एवं दिल्ली पुलिस के दल के बीच हुई मुठभेड़ के बारे में  सामने आये सीसीटीवी फुटेज में यह खुलासा हुआ है कि दो पुलिसकर्मियों की मनोज वशिष्ट के साथ खींचतान हुई और उसके बाद गोली लगने से वह गिर पड़ा।

फुटेज की खराब गुणवत्ता से दिल्ली पुलिस का यह दावा स्थापित नहीं हो पाया है कि वशिष्ट ने पहले गोली दागी और पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। यह फुटेज 29 सेकेंड की है जिसमें सादे कपड़े पहने हुए दो पुलिसकर्मियों को रात सवा आठ बजे न्यू राजेन्द्रनगर क्षेत्र में सागर रत्ना रेस्त्रा में वशिष्ट की ओर बढ़ते हुए दिखाया गया है। वशिष्ट को रेस्त्रा के बीचोंबीच कई लोगों के साथ बैठे हुए दिखाया गया है।

जैसे ही वशिष्ट ने पुलिस को देखा तो खींचतान शुरू हो गयी और पुलिसकर्मियों को उसे नीचे गिराने का प्रयास करते हुए देखा गया। फुटेज की खराब गुणवत्ता के बावजूद गोलियां चलने की आवाज सुनी नहीं जा सकी या उसे देखा नहीं जा पा रहा। वशिष्ट को जमीन पर गिरते हुए जबकि अन्य मेहमानों को रेस्त्रा से भागते हुए देखा गया है।

इसबीच, वशिष्ट की प्राथमिक पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि उसकी मौत उस गोली के कारण हुई जो उसके सिर में लगी थी। इस मुठभेड़ के बारे में पुलिस ने यह दावा किया था कि वशिष्ट को उसकी लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली चलाते देख एक सिपाही ने उस पर गोली चलायी ताकि उसे रोका जा सके लेकिन इस गोली से उसकी मौत हो गयी।

लेकिन कई अनसुलझे सवाल इस एनकाउंटर में बाकी हैं कि क्या धाेखाधड़ी करने वाले व्यक्ति को पुलिस एनकाउंटर करेगी वह भी ऐसी जगह पर जहां की कई लोग खाने की टेबल पर बैठे हैं। मनोज के साथ कौन-कौन लोग टेबल पर बैठे थे विशेष शाखा के लोगों को उनकी भी जांच करनी चाहिए। क्योंकि जिन प्रत्यक्षदर्शियों का हवाला दिया जा रहा है उनको लेकर भी मनोज के परिजन संदेह जता रहे हैं। 

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