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नासा का अंतरिक्षयान जूनो बृहस्पति की कक्षा में दाखिल

नासा का सौर-उर्जा से संचालित अंतरिक्षयान जूनो पृथ्वी से प्रक्षेपण के पांच साल बाद मंगलवार पांच जुलाई 2016 को बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश कर गया। इस उपलब्धि को ग्रहों के राजा और हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति की उत्पत्ति और विकास को समझने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
नासा का अंतरिक्षयान जूनो बृहस्पति की कक्षा में दाखिल

जूनो के बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश कर जाने की सूचना मिलने पर नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में इस अभियान के नियंत्रक खुशी से झूम उठे। नासा के प्रमुख जांचकर्ता स्कॉट बोल्टन ने बेहद उल्लास के साथ चिल्लाते हुए कहा, 'हम उसमें पहुंच गए।' उन्होंने मिशन कंट्रोल में लगे अपने सहकर्मियों से कहा, 'आप लोग अब तक की सर्वश्रेष्ठ टीम हैं।' बोल्टन ने कहा, 'आपने नासा की अब तक की सबसे मुश्किल चीज को अंजाम दिया है।'

 फोटो साभार - नासा

जूनो से रेडियो संदेश मिलते ही नासा के कैलिफोर्निया के पसडीना स्थित मिशन कंट्रोल रूम में जश्न का माहौल है। जूनो के मिशन कंट्रोल ने घोषणा की, 'रोगर जूनो, जूपिटर पर आपका स्वागत है।' 35 मिनट तक ईंजन के प्रज्वलन के बाद यह यान ग्रह के चारों ओर बनी तय कक्षा में प्रवेश कर गया। इस अभियान की लागत 1.1 अरब डॉलर है। इस यान ने रात 11 बजकर 53 मिनट पर (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार तड़के तीन बजकर 53 मिनट पर) बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश किया। पांच साल पहले फ्लोरिडा के केप केनवेराल से प्रक्षेपित इस यान ने यहां पहुंचने से पहले 2.7 अरब किलोमीटर का सफर तय किया है।

जूनो अपने साथ नौ वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया है। जूनो बृहस्पति की ठोस सतह के अस्तित्व का अध्ययन करेगा, ग्रह के बेहद शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र को मापेगा, गहरे वातावरण में मौजूद जल और अमोनिया की मात्रा नापेगा। जूनो लगभग 18 महीने तक बृहस्पति का चक्कर लगाएगा। इस दौरान जूनो यह पता लगाएगा कि बृहस्पति बना कैसे था। अपना मिशन पूरा करने के बाद जूनो बृहस्पति के वातावरण में दाखिल होकर नष्ट हो जाएगा। नासा ने जूनो मिशन को 2011 में रवाना किया था।

 फोटो साभार - नासा

बृहस्पति तक जूनो का पहुंचना नाटकीय रहा है। जूनो जब लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा था तब रॉकेट के इंजन में आग लग गई थी। इस वजह से यह स्लो हो गया था। यह कक्षा से हल्का फिसल गया था। स्पेसक्राफ्ट में कैमरा और अन्य उपकरण जूपिटर पर आने के बाद ऑफ हो गए हैं। ऐसे में यहां पहुंचने के बाद कोई तस्वीर नहीं आई है। पिछले हफ्ते नासा ने संपर्क साध कई तस्वीरें जारी की थीं। तस्वीर में जूपिटर पीले रंग में चमकीला दिख रहा था।
नासा ने कहा कि यह अभियान बड़े ग्रहों के निर्माण और सौरमंडल के बाकी ग्रहों को एकसाथ रखने में इनकी भूमिका को समझने में बड़ा कदम उठाने में हमारी मदद करेगा। बृहस्पति बड़े ग्रह के रूप में हमारे सामने एक प्रमुख उदाहरण है। वह अन्य नक्षत्रों के आसपास खोजे जा रहे अन्य ग्रह तंत्रों को समझने के लिए भी अहम जानकारी उपलब्ध करवा सकता है।

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