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मैगज़ीन डिटेल

संघ की सत्ता या सत्ता का संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस वर्ष विजयादशमी पर अपना 91 वां स्थापना दिवस मना रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए यह यात्रा इतनी आसान और आरामदायक नहीं थी। दो बड़े प्रतिबंधों के बावजूद अपने मजबूत संगठन के सहारे यह न सिर्फ उठ खड़ा हुआ बल्कि पूरे देश में 50 हजार से ज्यादा शाखाएं स्थापित कीं

यूं ही बदनाम नहीं हैं यूपी की जेलें

उत्तर प्रदेश की जेलों में कैदियों का उत्पात आम बात हो गई है। बड़े सरगनाओं के सामने जेल प्रशासन भी दिखता है बेबस

शराबबंदी पर कटघरे में सरकार

बिहार के नए शराबबंदी कानून में भी पुराने कानून की तरह ही हैं प्रावधान, इस मसले पर अड़े नीतीश

महानदी के पानी पर भड़की विवाद की लपटें

महानदी के पानी के बंटवारे को लेकर राजनीतिक नफे-नुकसान में उलझे ओडिशा और छत्तीसगढ़ इस बात को भूल गए हैं कि 57 फीसदी मीठे पानी को समुद्र के पानी में मिलने से कैसे रोका जाए

सरकार और संगठन में पड़ी दरार

सांसद और विधायक मौका मिलते ही सरकार की करते हैं आलोचना

कारोबारी बनते नक्सली

आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए नक्सलियों का नया दांव

चुनावी तूफान में समाजवादी जहाज

समाजवादी पार्टी में परिवार का तूफान थमा भी नहीं था कि कुछ सीटों पर उम्मीदवार बदलने से नया विवाद छिड़ गया

फिरेंगे फुटबॉल के दिन!

अभी ब्रिक्स अंडर-17 और अगले वर्ष फीफा अंडर-17 विश्वकप की मेजबानी अच्छी बात है, लेकिन भारतीय फुटबॉल को अच्छे दिनों के लिए लंबा सफर तय करना होगा

रामलीलाओं में फिल्मी जलवा

करोड़ों रुपये के बजट की हाईटेक रामलीलाओं में इस दफा हनुमान सचमुच उड़ते हुए लंका पहुंचेंगे और इंद्र देवता का दरबार भी हवा में लगेगा।

लक्ष्मी-प्यारे की छाया में गुम एक संगीतकार

संगीतकार प्यारेलाल के छोटे भाई गणेश जब फिल्म जगत में आए तो उनकी प्रतिभा की काफी चर्चा हुई थी। कहा जाने लगा था, लक्ष्मी-प्यारे की कई रचनाओं के पीछे गणेश के बहुमूल्य सुझाव का योगदान है।

दांत का दतंगड़

वह लेखक हैं नहीं, थे। लिहाजा सुविधा के लिए बहुत सुविधा से भूतपूर्व लेखक कहे जा सकते हैं। आजकल के संक्षिप्तीकरण के युग को देखते हुए भूतपूर्व के ‘भू’ और लेखक के ‘ले’ को मिलाकर हम उन्हें ‘भूले’ नाम से पुकारेंगे। तो भूले जी लेखक थे, उस ‘थे’ को ‘हैं’ में बदलने के लिए वह बेताब रहते हैं।

‘एक इंच भूमि और गांठ भर फसल’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की अपील आम लोगों को तकनीक से जोड़ें

राफेल सौदा: असली फायदा कॉरपोरेट को

फ्रांस के साथ लड़ाकू विमानों की खरीद के हफ्ते भर के भीतर दो बड़ी कंपनियों के बीच उत्पादन समझौते को लेकर उठने लगे सवाल

तैयारी सर्जिकल स्ट्राइक से आगे की

पश्चिमी सीमा पर सुखोई की तैनाती की कवायद, कूटनीतिक मिशन बेहद सक्रिय और खुफिया एजेंसी का पुनर्गठन प्राथमिकता में

हाईड्रोजन बना परमाणु का विकल्प

भारत समेत दुनिया के सात देश पानी से हाईड्रोजन के अणु अलग कर ‘हैवी वाटर’ तैयार करने में जुटे। भारत में परियोजना पर 25 हजार करोड़ निवेश

सत्ता पर भारी पड़ते ‘सत्ते’

मुख्यमंत्री के चंद अतिप्रिय अफसरों के चलते मध्य प्रदेश हलकान

भाजपा शासित नगर निगम में भ्रष्टाचार का बोलबाला

फर्जी प्रमाण पत्र, जूतों की खरीद, दुकान और भूखंड के आवंटन में खामियां हुईं उजागर, अगले साल होने वाले चुनाव में बनेगा मुद्दा

संगठन से किसान गायब

किसानों को लुभाने में जुटे राहुल लेकिन संगठन में नहीं है कोई महत्व

‘यूएन ने माना, बच्चों पर क्रूरता से विकास में भी अड़ंगा’

देश और दुनिया में बचपन बचाओ आंदोलन के जरिए बाल श्रम के उन्मूलन, बच्चों के खिलाफ हिंसा और उनके किसी भी तरह के शोषण को रोकने के लिए सालों से प्रयासरत और अपने इस प्रयास के लिए दुनिया के सर्वोच्च सम्मान नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए गए कैलाश सत्यार्थी अब पूरी दुनिया में हाशिए पर पड़े बच्चों के लिए नीतिगत बदलाव की लड़ाई में जुटे हैं। कैलाश सत्यार्थी ने वर्तमान में किए जा रहे कामों और अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में आउटलुक हिंदी की संपादकीय टीम के साथ विस्तृत बातचीत की। यहां हम इस विस्तृत बातचीत का संपादित अंश दे रहे हैं:

‘पर्यावरण मुद्दे पर भारत किसी के दबाव में नहीं’

पर्यावरण आंदोलनकारी, नर्मदा पदयात्री, पर्यावरण पर ढेरों किताबें लिखने वाले अनिल माधव दवे अब केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हो गए हैं। जरूरत भर के सामान से सजे उनके दफ्तर में दिनभर गहमागहमी रहती है। खांटी इंदौर के उच्चारण और मालवी मिठास के साथ वह पर्यावरण को गांधी के दर्शन और सिद्धांत के साथ जोड़ते हैं। वह मानते हैं कि भारतीय जीवन शैली सबसे अच्छी है जिससे हम थोड़ा-सा भटक गए हैं। जन चेतना, जन शिक्षा से इस भटकी हुई राह को पा लिया जाए तो पर्यावरण को कोई नष्ट नहीं कर सकता। इन तमाम मुद्दों पर आउटलुक हिंदी की सहायक संपादक आकांक्षा पारे काशिव के साथ उन्होंने कई बातें साझा कीं।

परिवार पर निर्भर राज-काज

कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा या कोई भी पार्टी राज करे परिवार के संस्कार, नाम-काम सदा सत्ता की राजनीति को प्रभावित करते रहेंगे। फिर चाहे परिवार ‘गांधी’ हो या ‘संघ’

जड़वाद

दस कहानी एवं तीन कविता संग्रह, तीन उपन्यास, सात बाल उपन्यास, अध्यात्म, धर्म-दर्शन पर चार पुस्तकें। कुल छत्तीस पुस्तकें प्रकाशित। फोन-0120 2547982

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