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सिगरेट नहीं पीते फिर भी हो सकता है फेफड़े का कैंसर

ये एक आम धारणा है कि यदि कोई व्यक्ति फेफड़े के कैंसर से पीड़ित है तो निश्चित रूप से वह सिगरेट, बीड़ी, हुक्का या इसी तरह का कोई तंबाकू के धुएं वाला नशा करता होगा। हाल तक यह धारणा कुछ हद तक ठीक भी मानी जाती थी क्योंकि ऐसे लोगों में से 90 फीसदी से अधिक धूम्रपान के आदि पाए जाते थे मगर अब ‌स्थिति ऐसी नहीं है।
सिगरेट नहीं पीते फिर भी हो सकता है फेफड़े का कैंसर

एम्स में कैंसर रोग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर प्रोफेसर पी.के. जुल्का कहते हैं कि एक दशक पहले तक फेफड़े के कैंसर के 10 फीसदी से कम मरीज ऐसे होते थे जो धूम्रपान नहीं करते थे मगर अब यह प्रतिशत 20 से अधिक हो गया है। यानी आप भले ही सिगरेट-बीड़ी न पीते हों फिर भी फेफड़े के कैंसर के शिकार हो सकते हैं। डॉ. जुल्का कहते हैं कि शहरों में बढ़ रहा प्रदूषण इसकी एक वजह हो सकता है। हालांकि उनका कहना है कि सावधानी बरत कर कैंसर के 40 फीसदी मामलों को रोका जा सकता है जबकि कैंसर के एक तिहाई मामले शुरुआती स्तर पर जांच हो जाने और पकड़ में आ जाने से ठीक किए जा सकते हैं।

गौरतलब है कि भारत में वर्ष 2012 में कैंसर के 10 लाख मामले सामने आए जिसके कारण 6.8 लाख लोगों की मौत हो गई। देश में अभी करीब एक करोड़ 79 लाख कैंसर के मरीज हैं। पूरी दुनिया में सबसे आम कैंसर में फेफड़े का कैंसर माना जाता है और इसके बाद स्तन, कोलोरेक्टल, प्रोस्टेट, पेट, लिवर और सर्वाइकल कैंसरों का नंबर आता है। स्तर कैंसर महिलाओं में सबसे आम है जबकि पुरुषों में फेफड़े का कैंसर सबसे आम है। कैंसर के इस फैलाव को देखते हुए पूरी दुनिया में वर्ष 2016 से 18 के तीन वर्षों तक विशेष अभियान चलाया जा रहा है जिसमें इस बीमारी से लड़ने में हर एक व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। 

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