Advertisement

मोदी का नया धर्मग्रंथ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में बोलते हुए भूमि अधिग्रहण पर सरकार के रुख में बदलाव के संकेत दिये हैं। उन्होंने अपने भाषण में साम्प्रदायिकता पर भी चोट की और कहा कि देश का संविधान ही उनकी सरकार का धर्मग्रंथ है। वह साम्प्रदायिकता पर बोलते हुए कट्टर हिंदू नेता की छवि से बाहर आने की कोशिश करते हुए दिखाई दिये।
मोदी का नया धर्मग्रंथ

विपक्ष और सहयोगी दलों के दबाव के बीच विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक में बदलाव के लिए सहमत होने का संकेत देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज संसद में कहा कि अगर इसमें किसानों के खिलाफ एक भी चीज है तो वह उसे बदलने को तैयार हैं। उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि वह इसे प्रतिष्ठा का विषय न बनाकर इसे पारित होने दें।

प्रधानमंत्री ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब के दौरान संसद में पहली बार भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष से सहयोग की अपील करते हुए कहा,  इसे प्रतिष्ठा का विषय नहीं बनाएं। इसमें कोई कमियां हैं तो उसे ठीक कर लें। कानून बन जाने के बाद इसका सारा श्रेय पुराने (कानून) बनाने वालों को दूंगा।

भूमि अधिग्रहण के पूर्व कानून के संदर्भ में कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के लिए लाभकारी बताते हुए वे इसे चुनाव में लेकर गए थे लेकिन उन्हें इतनी कम सीटें मिली जितनी आपातकाल के बाद भी नहीं मिली थी।

प्रधानमंत्री ने साम्प्रदायिकता पर भी अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि किसी को भी धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव करने या कानून को अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है और देश संविधान के दायरे में चलेगा। उन्होंने कहा कि  साम्प्रदायिकता के नाम पर अनाप-शनाप बोलने वालों को कहना चाहता हूं कि मेरी सरकार का एक ही धर्म है-भारत। सबसे पहले, एक ही धर्मग्रंथ है- भारत का संविधान, एक ही भक्ति है- भारत भक्ति, एक ही पूजा है- सवा सौ करोड़ देशवासियों का कल्याण।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement