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इसलिए बुलानी पड़ी सातवीं के बच्चों को प्रेस कॉन्फ्रेंस

महाराष्ट्र के चंद्रपुर में दो बच्चों ने अनोखी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले दो बच्चों ने पत्रकारों को बुला कर कहा कि वह स्कूल के भारी बस्ते के बोझ से तंग आ चुके हैं।
इसलिए बुलानी पड़ी सातवीं के बच्चों को प्रेस कॉन्फ्रेंस

घर से पांच किलो मीटर दूर अपने कंधों पर भारी बस्ता उठाए दो बच्चों ने अपने प्रिंसिपल से इसकी शिकायत की। जब कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने अलग रास्ता अपनाया। स्थानीय प्रेस क्लब में जुटे पत्रकार उस समय अचंभे में पड़ गए, जब स्थानीय विद्या निकेतन स्कूल के दो छात्र अंदर आए और उन्होंने भारी बस्ते के कारण रोज होने वाली कठिनाइयों पर एक संवाददाता सम्मेलन करने की इच्छा जाहिर की।

12 साल के इन बच्चों ने पत्रकारों से कहा,  हमें रोज आठ विषयों की कम से कम 16 किताबें ले जानी पड़ती हैं। कई बार स्कूल में उस दिन पढ़ाए जाने वाले विषयों के आधार पर इन किताबों की संख्या बढ़कर 18 से 20 तक पहुंच जाती है। हमारा स्कूल बस्ता पांच से सात किलो का होता है। हमारी कक्षा तीसरी मंजिल पर है। वहां तक बस्ता ले जाना बहुत थकाऊ होता है। बच्चों ने बताया कि हमने अपने प्रधानाचार्य से भी बस्ते का बोझ कम करने के लिए प्रार्थनापत्र दिया था,  लेकिन उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने कहा कि कई बार अभिभावक अपने बच्चों की मदद करते हैं और उनके बस्ते को कक्षा तक पहुंचा देते हैं।

उल्लेखनीय है कि बंबई उच्च न्यायालय ने इस साल की शुरुआत में एक समिति की सिफारिशों के आधार पर महाराष्ट्र सरकार को स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के दिशा-निर्देश जारी किए थे। हालांकि राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि उन्होंने भी विद्यालय के प्रधानाचार्यों और विद्यालय प्रबंधन को न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन करने की जिम्मेदारी दी है और इन नियमों का पालन न करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। सरकारी वकील के मुताबिक राज्य के करीब 1.06 लाख विद्यालय इन निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। एक सवाल के जवाब में हालांकि उन्होंने नकारात्मक लहजे में कहा कि क्या छात्रों को भी इन दिशा-निर्देशों के बारे में पता है। छात्रों को इस समस्या के समाधान के लिए अन्य विकल्प भी सुझाए गए थे।

विद्यालय प्रबंधन की ओर से किसी भी संभावित अनुशासनात्मक कार्रवाई पर दोनों छात्रों ने कहा कि यह केवल उनकी मांग है और उन्हें किसी अन्य समस्या की उम्मीद नहीं है। यह पूछने पर कि यदि विद्यालय उनकी शिकायत का निवारण नहीं करता है, तो वे क्या करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके बाद वह अपनी मांगे पूरी न होने तक भूख हड़ताल पर जाएंगे।

भाषा एजेंसी

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