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'खेल संघों में नेताओं का होना बुरा नहीं, बशर्ते वे खेल को आगे ले जाएं'

नए खेल राज्यमंत्री विजय गोयल के घर 10, अशोक रोड पर इन दिनों बधाई का तांता लगा हुआ है। मिलने वालों की भीड़ है। इस मौके पर उन्होंने नई खेल नीति, ओलंपिक में संभावनाओं और खेल संबंधी कुछ सवालों के जवाब दिए।
'खेल संघों में नेताओं का होना बुरा नहीं, बशर्ते वे खेल को आगे ले जाएं'

नई खेल नीति के तहत किस प्रकार के बदलाव किए जा रहे हैं?

सबसे पहले तो खेलों को ब्रॉड बेस्ड करने की जरूरत है। ओलंपिक और कॉमन वेल्थ में पदक आएं यह एक बात है लेकिन खेल गांव-गांव, कस्बे-कस्बे, शहर-शहर तक पहुंचे यह दूसरी बात है। इसलिए हमारी कोशिश यह है ‘खेलो इंडिया’ के तहत हम निचले स्तर तक ज्यादा से ज्यादा हर खेल जैसे हॉकी, कबड्डी, फुटबॉल जैसे परंपरागत खेलों को पहुंचाएं, न कि केवल क्रिकेट को। शहरों के अंदर तो हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर है। हम चाहते हैं कि ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में भी खेल संबंधी इंफ्रास्टक्चर बने। ताकि खिलाड़ियों को सुविधाएं मिलें। हमें मेडल दिलवाने वाले ज्यादातर खिलाड़ी ग्रामीण और आदिवासी इलाकों से आते हैं। हम एक टैलेंट सर्च कार्यक्रम भी चलाने जा रहे हैं, जो जिलास्तर से ऊपरी स्तर तक होगा। उदयमान खिलाड़ियों को सहयोग करने के लिए यह कार्यक्रम कारगर साबित होगा। इसके लिए हमने अलग-अलग योजनाएं भी बनाई हैं।

 

इस दफा ओलंपिक में कैसी संभावनाएं हैं?

मैं समझता हूं इस दफा ओलपिंक की तैयारी बहुत अच्छी हुई है। सभी खिलाड़ियों को बेहतरीन सुविधाएं और ट्रेनिंग दी गई है। भारतीय और विदेशी कोच ने खिलाड़ियों को बेहतीरन तैयारी करवाई है और खिलाड़ियों ने भी खूब मेहनत की है। पहले हमारे यहां से खिलाड़ी विदेश में प्रेक्टिस करने के लिए ओलंपिक से केवल दो दिन पहले जाया करते थे, अब हमने बोल दिया है कि अगर उनके पास समय है तो वह विदेश में प्रैक्टिस करने के लिए इससे पहले भी जा सकते हैं। अच्छे बजट दिए हैं ताकि इन्हें बेहतर से बेहतर सुविधाएं मिलें।

 

बॉक्सिंग फेडरेशन न होने से खिलाड़ियों को कोई दिक्कत नहीं होगी?

नहीं, मंत्रालय सब देखरेख कर रहा है। मूल बात तो यह है कि खिलाड़ियों को सुविधाएं मिलें और कोच मिले। यह सब हो रहा है।

 

यह हमेशा से सवाल उठता रहा है कि खेल संघों पर राजनीतिक लोग काबिज हैं, क्या कहेंगे?  

नेता का खेल संघ में होना कोई गुनाह या बुरा नहीं। सवाल यह है कि उसकी खेल में रुचि कितनी है और सवाल यह है कि वह खेलों को आगे ले जाए। और वह इन फेडरेशंस को अपने मतलब के लिए प्रयोग न करे। किसी भी फील्ड से लोग आ सकते हैं। जिनकी खेलों में रुचि है और जो खेलों को बढ़ावा देते हैं। जैसा कि आपने देखा होगा कि यह जरूरी नहीं कि अस्पताल केवल डॉक्टर ही बनाएं, जो लोग काबिल तरीके से शासन चला सकते हैं वे भी अस्पताल बना रहे हैं। इसलिए हमें सब लोगों को जोड़कर आगे लेकर जाना है।      

 

 

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