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कश्मीरः प्रतिनिधिमंडल से अपने को अलग किया जफरुल इस्लाम ने

केंद्र सरकार कश्मीर की स्थिति के जायजे के लिए मुस्लिम बहुल जिस प्रतिनिधिमंडल को वहां भेजने की योजना बना रही थी, उनमें से वरिष्ठ पत्रकार एवं ऑल इंडिया मजलिस-ए-मुशावारात के पूर्व अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने उसका हिस्सा न बनने का फैसला किया है। उन्होंने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से लगभग ढाई घंटे बैठक करने के बाद यह फैसला लिया।
कश्मीरः प्रतिनिधिमंडल से अपने को अलग किया जफरुल इस्लाम ने

 

आउटलुक से बातचीत में जफरुल इस्लाम ने बताया कि कश्मीर के सिलसिले में सरकार का ज्यादा ध्यान वहां पत्थरबाजी को बंद करवाना है। इस मुलाकात के बाद जफरुल इस्लाम का कहना है कि पत्थरबाजी बंद होने के बाद सरकार को शायद वहां के लोगों से बात करने की जरूरत नहीं लगेगी। बैठक में पैलेट गन का प्रयोग बंद होने की बात पर जफरुल इस्लाम गृह मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं थे। उनका कहना है कि इस मसले के जबाव में राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार इसपर विचार कर रही है। प्रतिनिधिमंडल की ओर से सरकार को सुझाव दिया गया कि पैलेट गन के प्रयोग से जिन कश्मीरियों की आंखे जख्मी हो गईं हैं उन्हें इलाज के लिए फौरन दिल्ली लाया जाए। इस पर सरकार ने जवाब दिया कि इस मसले पर अगर कोई फेस्लिटेट करेगा तो सरकार ऐसा करने के लिए तैयार है। जफरुल इस्लाम का कहना है कि जब राज्य और केंद्र में एक सरकार है तो किसने किसे फेस्लिटेट करना है। यानी सब कुछ तो सरकार को करना है। मुआवजे पर भी सरकार राजी नहीं है। सरकार का कहना है कि राज्य सरकार या कोई मुआवजे की मांग करेगा तो देखेंगे।  खान का कहना है कि वह प्रतिनिधिमंडल को सरकार की ओर से दिए गए किसी भी जवाब से सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार सरकार ने किसी प्रकार का कोई ठोस जवाब नहीं दिया। खान के अनुसार इस मसले को कश्मीरियों और पाकिस्तान से ठोस बातचीत किए बिना हल नहीं किया जा सकता है।   

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