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व्यापमः फंसे शिवराज, सीबीआई जांच पर झुके

घोटाले की जांच करने वालों से लेकर घोटाले में शामिल आरोपियों की मौतों के सिलसिले ने सीबीआई जांच की मांग को बल दिया, मुख्यमंत्री को भी बोलना पड़ा कि वह हाई कोर्ट को सीबीआई जांच के लिए लिखेंगे। इसके बाद मंगलवार को ही उन्होंने हाईकोर्ट के सामने इस बाबत अर्जी भी लगा दी कि मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।
व्यापमः  फंसे शिवराज, सीबीआई जांच पर झुके

व्यापमं घोटाले के पेंच से बचते हुए दो साल निकाल लेने वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए अब राह कठिन दिखाई दे रही है। उन्होंने यह स्पष्ट भी किया कि मामले को उन्होंने ही उठाया है और अब जो भी परिणाम हो, उसे भुगतने के लिए वे तैयार हैं। पिछले चार दिन में चार मौत ने व्यापमं घोटाले को सुर्खियों में ला दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आज दबाव के आगे झुकते हुए कहना पड़ा कि वह उच्च न्यायालय को अनुरोध करेंगे कि सीबीआई जांच के आदेश दें। बाद में उन्होंने इस आशय का अनुरोध कर भी दिया।

 

7 जुलाई 2013 को इंदौर क्राइम ब्रांच में पीएमटी (प्री मेडिकल टेस्ट) में फर्जीवाड़े को लेकर प्रकरण दर्ज किया गया था औरे 20 स्कोरर की गिरफ्तारी के बाद कई कड़ियां जुड़ती गई। इसके पहले से ही पीएमटी में हो रहे फर्जीवाड़े को लेकर विधायक एवं व्हिसल ब्लोअर आवाज उठाते रहे हैं, पर बड़ी संख्या में स्कोरर की गिरफ्तारी एवं घोटाले में रसूखदारों के नाम आने के बाद इसे 26 अगस्त 2013 को एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) को जांच के लिए सौंप दिया गया। तब से लेकर अब तक यह मध्यप्रदेश भाजपा सरकार एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए गले की हड्डी बनी हुई है। एक ओर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अपने को व्हिसल ब्लोअर बता रहे हैं, तो दूसरी ओर कोर्ट का हवाला देकर इसकी तह तक जाने के लिए सीबीआई जांच की मांग को टालने का प्रयास कर रहे हैं।


पिछले चार दिन में मामला इतना आगे बढ़ गया है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी शिवराज को बचाने के लिए उतर गया है, पर व्हिसल ब्लोअर के खुलासे, मीडिया के तीखे सवाल और विपक्ष के हमले के आगे बचाव की स्थिति में है। कल सुबह प्रशिक्षु उप निरीक्षक अनामिका कुशवाहा की खुदकुशी की खबर के बाद देर रात को टीकमगढ़ जिले के ओरक्षा में पदस्थ 38 साल के आरक्षक रमाकांत शर्मा की मौत की खबर आ गई। ऐसा कहा जा रहा है कि उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। खबरें ऐसी भी आ रही हैं कि कुछ समय पहले इनसे एसटीएफ ने व्यापमं घोटाले मामले में पूछताछ की थी।


पत्रकार, डीन, अभियुक्त और राजदारों की मौत ने शिवराज को ऐसे मोड़ पर ला दिया है, जहां भाजपा शीर्ष नेतृत्व का एक धड़ा उनके साथ खड़ा नहीं दिख रहा है। जब व्यापमं घोटाले में सुश्री उमा भारती के नाम होने की चर्चा हुई थी, तब सुश्री भारती ने इसकी जांच पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि इसकी जांच सीबीआई से होनी चाहिए और यह चारा घोटाला से भी बड़ा घोटाला है। यद्यपि तब तत्कालीन पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे ने उनके निवास पर जाकर सफाई दी थी कि एफ.आई.आर. में उनका नाम नहीं है। अब फिर अप्रत्यक्ष रूप से सुश्री भारती दोहरा रही है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सक्षम एजेंसी से कराई जानी चाहिए। वे यह भी दोहरा रही हैं कि इंदौर क्राइम ब्रांच से एसटीएफ को मामला सौंपने के बीच गड़बड़ियां किए जाने की संभावना है।


व्यापमं घोटाले के तूल पकड़ने पर प्रदेश भाजपा ने एक किताब ‘‘व्यापमं का सच’’ जारी कर यह बताने की कोशिश की थी कि इस घोटाले में मुख्यमंत्री एवं उनके परिवार का हाथ नहीं है, पर कुछ समय बाद ही इस किताब को लेकर विवाद हो गया और भाजपा ने इससे हाथ खिंच लिया था।


पुस्तकों की इस कड़ी में इस मामले को लंबे समय से विधानसभा के भीतर एवं बाहर लंबे समय से उठाने वाले पूर्व विधायक पारस दादा सकलेचा ने ‘‘व्यापमंगेट’’ नाम से एक किताब जारी किया है। उन्होंने कहा कि इस किताब की एक लाख प्रतियां वे बांटेंगे। इस किताब में उनके द्वारा एसटीएफ को दी गई सबूतों एवं संदर्भों को संकलित किया गया है और साथ ऐतिहासिक रूप से दस्तावेजीकरण करने का प्रयास किया गया है। श्री सकलेचा कहते हैं कि पुस्तक को पढ़कर इस महाघोटाले की गंभीरता को समझा जा सकता है।


आर.टी.आई. कार्यकर्ता अजय दुबे कहते हैं, ‘‘अब भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी शिवराज का बचाव कर रहा है। ऐसे में हम अब सिर्फ सीबीआई से जांच की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई की जांच की मांग कर रहे हैं। घोटाले में अभी जितना सामने आया है, उससे कहीं ज्यादा सच अभी सामने आना है। जांच के दायरे से जिम्मेदार लोगों को बाहर रखा गया है और उन्हें सरकारी गवाह बनाने की कवायद की जा रही है।’’ मामले के व्हिसल ब्लोअर डॉ. आनंद राय कहते हैं, ‘‘हमारी जान को खतरा बना हुआ है। एक के बाद एक संदेहास्पद मौत हो रही है और प्रदेश सरकार कोर्ट का बहाना बनाकर सीबीआई जांच से बचने का प्रयास कर रही है, जबकि सरकार ने खुद कोर्ट में सीबीआई जांच का विरोध किया है।’’


व्हिसल ब्लोअर्स की जान को खतरे, एक के बाद एक हो रही संदेहास्पद मौतें और प्रदेश के मंत्रियों के बेतूके बयानों ने शिवराज के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। डंपर घोटाले एवं व्यापमं के शुरुआती झटकों से उबर जाने के बाद अब सवाल यही है कि क्या इस बार भी शिवराज अपने को बचा ले जाएंगे।

 

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