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दिल्ली में ट्रकों की एंट्री पर 1 नवंबर से ग्रीन टैक्स

उच्चतम न्यायालय ने राजधानी में बढते प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली में दाखिल होने वाले वाणिज्यिक वाहनों से पर्यावरण शुल्क वसूलने का आदेश दिया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एक नवंबर से चार महीने के लिए राजधानी में प्रवेश करने वाले वाणिज्यिक वाहनों से टोल टैक्स के अतिरिक्त पर्यावरण शुल्क वसूला जाए।
दिल्ली में ट्रकों की एंट्री पर 1 नवंबर से ग्रीन टैक्स

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि यह हर्जाना शुल्क हल्के वाहनों और दो एक्सेल वाले वाहनों से सात सौ रूपए की दर से वसूला जाएगा जबकि तीन एक्सेल और इससे ज्यादा क्षमता के वाहनों को 1300 रूपए की दर से शुल्क देना होगा। न्यायालय ने दिल्ली सरकार को इस बारे में अधिसूचना जारी करने का निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि प्रारंभ में यह शुल्क प्रयोग के आधार पर एक नवंबर, 2015 से चार महीने के लिए 29 फरवरी, 2016 तक लागू होगा। न्यायालय ने इसी मसले पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण के सात अक्तूबर के आदेश को निष्प्रभावी बताते हुए स्पष्ट किया, यह आदेश किसी भी अन्य अधिकरण द्वारा इससे इतर दिये गए किसी भी आदेश पर भी लागू होगा। इस व्यवस्था की समीक्षा और इस पर आगे विचार के लिए न्यायालय ने इस मामले को फरवरी के तीसरे सप्ताह के लिये सूचीबद्ध किया है।

प्रधान न्यायाधीश एच. एल. दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा, न्याय मित्र हरीश साल्वे, सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार और दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने संयुक्त रूप से सुझाव दिया है कि दिल्ली सरकार को पर्यावरण हर्जाना शुल्क लगाना चाहिए। पीठ ने कहा, इस पर गहन विचार करने पर हमें इस सुझाव को स्वीकार नहीं करने की कोई वजह नजर नहीं आती। तद्नुसार हम इस सुझाव को मंजूरी देते हैं।

इसके साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यात्री वाहनों, आवश्यक वस्तुओं से भरे वाहनों, खाद्य पदार्थों वाले वाहन और एंबुलेंस को पर्यावरण हर्जाना शुल्क की अदायगी से छूट होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली से इतर अन्य गंतव्य स्थानों के लिए वाहनों को झज्जर और रोहतक के रास्ते रेवाड़ी और पानीपत से जोड़ने वाले एनएच-71ए और एनएच-71 की ओर भेजा जाएगा।

शीर्ष अदालत ने सेन्टर फार साइंस एंड एन्वायरमेन्ट की रिपोर्ट के इस निष्कर्ष से भी सहमति व्यक्त की जिसमें कहा गया था कि दिल्ली में आने वाले वाणिज्यि वाहन परिवहन क्षेत्र से निकलने वाले कुल छोटे कण का 30 प्रतिशत और कुल नाइट्रोजन ऑक्साइड का 22 प्रतिशत उत्सर्जन करते हैं।

न्यायालय ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह वाणिज्यिक यातायात के वाहनों को बाइपास मार्गों और पर्यावरण हर्जाना शुल्क की अदायगी के बारे में सूचित करने के लिए विज्ञापन जारी करे। न्यायमित्र हरीश साल्वे ने 1985 से लंबित पर्यावरणविद एम सी मेहता की जनहित याचिका में एक अर्जी दायर कर केन्द्र, दिल्ली सरकार और नगर निगम को राजधानी में प्रवेश करने वाले वाणिज्यिक वाहनों पर पर्यावरण हर्जाना शुल्क लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

 

 

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