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जैमर और 41 शर्तों के बावजूद डीमैट परीक्षा पर आशंका

अभी भी आशंका जताई जा रही है कि अदालत के इस आदेश की राज्य के के निजी डेंटल एवं मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन कितना पालन करेंगे
जैमर और 41 शर्तों के बावजूद डीमैट परीक्षा पर आशंका


मध्यप्रदेश के डीमेट परीक्षा में हुए भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच एवं प्रवेश परीक्षा के लिए हाई कोर्ट की निगरानी की मांग को लेकर जनहित याचिका दाखिल करने वाले रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा हाई कोर्ट के वर्तमान आदेश पर संतुष्टि जाहिर कर रहे हैं, पर उन्हें आशंका है कि इस परीक्षा को आयोजित करने वाली संस्था मध्यप्रदेश के निजी डेंटल एवं मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन (एपीडीएमसी) कोर्ट के आदेशों के अनुरूप पारदर्शी तरीके से परीक्षा आयोजित करवाएगी।

अदालत ने इसके लिए 41 शर्तें रखी हैं। इन शर्तों के तहत प्रवेश परीक्षा में पहली बार जैमर लगाया जाएगा, जिससे परीक्षा हॉल में मोबाइल काम न कर सकें एवं परीक्षा खत्म होने के 15 मिनट के अंदर परिणाम घोषित करना है।
मध्यप्रदेश के निजी डेंटल एवं मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन (एपीडीएमसी) द्वारा निजी डेंटल एवं मेडिकल कॉलजों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा डीमेट में भारी अनियमितता एवं भ्रष्टाचार को लेकर जबलपुर उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ए.एम. खानविलकर एवं जस्टिस के.के. त्रिवेदी की विशेष खंडपीठ ने परीक्षा आयोजकों के सामने 41 शर्तों के साथ परीक्षा आयोजित करने को कहा है। रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा, नरसिंहपुर की छात्रा ऋतु वर्मा एवं अन्य ने याचिकाएं दायर कर डीमेट परीक्षा में अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
उच्च न्यायालय ने इसमें दखल देकर परीक्षा केंद्रों पर स्कैनर लगाने को कहा था, पर इसे एपीडीएमसी स्वीकार नहीं कर पाया और उसने ऑनलाइन परीक्षा कराने की बात न्यायालय में कही। इस पर न्यायालय ने देश की चुनिंदा एजेंसियों के नाम मंगवाएं। जिस एजेंसी को एपीडीएमसी ने चुना था, उसे लेकर न्यायालय ने फटकार भी लगाई। फिर 31 शर्तों के साथ परीक्षा कराने को तैयार होने वाली एजेंसियों के नाम मंगवाया गया। इस बीच एपीडीएमसी सर्वोच्च न्यायालय भी गया था, पर वहां से उसे निराशा हाथ लगी। आखिरकार दिशानिर्देशों में कुछ छूट के साथ परीक्षा आयोजित कराने की मांग एपीडीएमसी ने की।  याचिकाकर्ताओं ने पूर्व में हुई अनियमितताओं को देखते हुए इसकी अनुमति नहीं दिए जाने की मांग की। कोर्ट ने यह छूट प्रदान की कि परीक्षा केन्द्र आईएसओ की बजाय नैक से मान्यता प्राप्त हो। कोर्ट ने कहा कि शर्तां से परीक्षा की पारदर्शिता कायम रहेगी और एपीडीएमसी को कहा कि वह ऐसा करे कि डीमेट परीक्षाओं में जनता का विश्वास कायम हो सके।
न्यायालय के आदेश पर याचिकाकर्ता पारस सकलेचा कहते हैं, ‘‘इन शर्तां के साथ परीक्षा हो, तो उम्मीद है कि पारदर्शिता बरकरार रहेगी। पर संदेह है कि परीक्षा आयोजक इन शर्तों का पालन करेंगे। पिछले कुछ सालों में डीमेट में हजारों करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है। जनहित याचिका के बाद भी परीक्षा आयोजक लगातार इस कोशिश में हैं कि कैसे भ्रष्टाचार किया जाए। हमलोग इस पर नजर रखेंगे और सैकड़ों परीक्षार्थियों को इन शर्तों के बारे में बताया गया है, जो हमारे संपर्क में हैं। यदि शर्तों का पालन नहीं हुआ, तो हम फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।’’

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