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राफेल विमान सौदा भाजपा के लिए बोफोर्स साबित होगा : प्रशांत भूषण

स्वराज अभियान के नेता प्रशांत भूषण ने राफेल विमान सौदेे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला किया है। सरकार फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद रही है। इस खरीद सौदे को लेकर विपक्षी दलों को शंका है। भूषण नेे जाेेर देते हुए कहा कि राफेल सौदा भारतीय जनता पार्टी के लिए बोफोर्स साबित होगा।
राफेल विमान सौदा भाजपा के लिए बोफोर्स साबित होगा : प्रशांत भूषण

 

भूषण ने एक बयान में कहा, स्वराज अभियान के खुलासे और एडमांंड एलेन ने जो सबूत पेश किए हैं वह भाजपा के लिए नुकसानदायक होंगे। उन्‍होंने कहा कि सौदे में अनियमितता के आरोप पर भाजपा चुप रहकर गलत कर रही है। राफेल सौदा उसके लिए बोफोर्स साबित हो सकता है। भूषण की यह टिप्पणी रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के 59 हजार करोड़ रुपये के सौदे को सबसे अच्छा सौदा करार देकर बचाव करने के बाद आई है।

उन्होंने कहा, जब बोफोर्स सौदे का घोटाला सामने आया था, उस समय राजीव गांधी की 'मिस्टर क्लीन' वाली छवि थी। उनका भी जवाब इसी तरह का था कि बोफोर्स तोप सौदा सबसे अच्छा है। उसके बाद घोटाले पर लीपापोती करने के लिए हस्यास्पद ढंग से सीबीआई जांच कराई गई। गौर हो कि भूषण और योगेंद्र यादव ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक अमेरिकी वकील सी. एडमंड्स एलेन के लिखे उन पत्रों को जारी किया, जिनमें कहा गया है कि रक्षा सौदों के दलाल अभिषेक वर्मा ने भाजपा सांसद वरुण गांधी को हनीट्रैप में फंसाया और समझौता के लिए मजबूर किया।

उन्होंने वरुण गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह यह कहकर बच नहीं सकते कि उन्होंने कभी भी रक्षा सलाहकार समिति की बैठक में भाग नहीं लिया। वह रक्षा गोपनीयता लीक करने को नकार रहे हैं और कह रहे हैं कि वह रक्षा पर संसद की स्थायी समिति की बैठकों में भी बहुत कम गए हैं। रक्षा से जुड़े किसी भी संवेदनशील चीज की जानकारी तक उनकी पहुंच नहीं है।

भूषण ने कहा सबसे खास बात है कि उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया कि अभिषेक वर्मा ने उन्हें रूपजाल (हनीट्रैप) में फंसवाया था। वरुण गांधी ने आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि वह स्वराज अभियान के नेता के खिलाफ मानहानि का आपराधिक मुकदमा दर्ज कराएंगे। भूषण ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को ईमेल, तस्वीरें और पत्रों के रूप में इतने अधिक सबूत मुहैया कराए जाने के बावजूद वर्मा ने सिर्फ इतना कहा है कि ये आरोप एक असंतुष्ट पूर्व साझीदार के हैं।

उल्‍लेखनीय है कि भूषण ने राफेल सौदे का एक बड़ा हिस्सा रिलायंस को देने की बात कहकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने सवाल किया कि क्यों इस ठेके का करीब 30 हजार करोड़ रुपये का हिस्सा अनिल अंबानी की स्वामित्व वाली रिलायंस डिफेंस को दे दिया गया? जबकि इस कंपनी को रक्षा से जुड़े उत्पाद का कोई अनुभव नहीं है और यह कंपनी महज एक साल पुरानी है। 

 

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