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हिंदी प्रेमी सरकार की पूर्व राष्ट्रपति को कैसी हिंदी में श्रद्धांजलि

पीआईबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अशुद्ध हिंदी में दी गई श्रद्धांजलि। इससे सरकार की हिंदी के प्रति सजगता की खुली पोल
हिंदी प्रेमी सरकार की पूर्व राष्ट्रपति को कैसी हिंदी में  श्रद्धांजलि

हिंदी प्रेम का दम भरने वाली केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को जिस तरह की हिंदी में श्रद्धासुमन अर्पित किए, उसे पढ़ना हिंदी के किसी भी जानकार के लिए गहरे कष्ट का अनुभव था। कल शाम यानी 27 जुलाई की शाम को केंद्र सरकार की पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की वेबसाइट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शोक संदेश डाला गया। दिलचस्प बात यह है कि अंग्रेजी विज्ञप्ति वाले खाने में यह संदेश हिंदी में डाला गया है, लेकिन इसमें शायद ही कोई वाक्य शुद्ध हिंदी में हो। अब यह भूल कैसे हुई और क्योंकर हुई, यह तो पीआईबी के अधिकारी ही बता सकते हैं, लेकिन इसमें हिंदी की भद्द पिट गई। इसे केंद्र सरकार में हिंदी के जानकारों के अभाव से जोड़ा जाए या फिर कोई और वजह तलाशी जाए, पर इतना तय है कि इस प्रेस विज्ञप्ति को किसी हिंदी जानकार ने देखा नहीं। एक दिन से पीआईबी की वेबसाइट पर यह चल रही है और इसे सुधारा नहीं गया।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे व्यक्तित्व के बारे में लिखते हुए जब इतनी बड़ी गड़बड़ियां की जा रही हैं, तो सामान्य मामलों में क्या हाल होता होगा, इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है। इसकी बानगी देखिए, " भारत के पूर्व राष्ट्रपति, और विशेष करके युवाओं के प्रिय श्रीमान अब्दुल कलाम जी के निधन के समाचार पूरे देश के लिए और विश्व के वैज्ञानिक आलम के लिए एक बहुत ही दुखद समाचार है।... और आज जीवन का अंत काल भी विद्यार्थिओं के बीच, अपने प्रिय काम को करते-करते ही उन्होंने वो अंतिम क्षण भी बितायी। ... देश ने अपने एक ऐसे सपूत को खोया है, जिसने भारत की सेवा की, भारत को सशक्त बनाने के लिए। जिसने अपनी पल-पल लगायी, भारत की युवा पीड़ी को सशक्त बनाने के लिए, सामर्थवान बनाने के लिए। ऐसे महापुरुष की विदाई, मैं नहीं मानता कि कोई भर पायेगा। देश ने बहुत कुछ आज गंवाया है। 

यह तो है केंद्र सरकार के हिंदी प्रेम की झलक। आज सरकार ने पीआईबी की वेबसाइट पर ही घोषित किया कि पूर्व राष्ट्रपति की मृत्यु पर सात दिन का राष्ट्रीय शोक तो रहेगा लेकिन अवकाश नहीं। इससे पहले सोमवार को चर्चा चल रही थी कि मंगलवार को अवकाश घोषित कर दिया जाए। बताया जाता है कि बाद में यह तथ्य सामने अाया कि खुद कलाम की इच्छा थी कि छुट्टी नहीं होनी चाहिए, इसलिए पीआईबी की वेबसाइट पर छुट्टी न होने की घोषणा करनी पड़ी। 

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