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कोयला घोटाला: मनमोहन को गवाह बनाने की याचिका खारिज

कोयला घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर तलब करने के लिए दायर एक याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया। यह याचिका कोयला घोटाले के एक आरोपी की ओर से दायर की गई थी।
कोयला घोटाला: मनमोहन को गवाह बनाने की याचिका खारिज

अदालत ने अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि आवेदन तंग करने वाला है और यह परोक्ष रूप से सुनवाई में देरी के लिए दायर किया गया है। अदालत ने झारखंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड (जेआईपीएल) के निदेशक आरएस रूंगटा का वह अनुरोध भी ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने झारखंड का नार्थ धाडू कोयला ब्लॉक का आवंटन फर्म को देने में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले में पूर्व कोयला राज्यमंत्री डी नारायण राव को बचाव पक्ष के गवाह के रूप में तलब करने की मांग की थी। विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पाराशर ने कहा कि इन दो सदस्यों को बचाव पक्ष के गवाह के रूप में तलब करने के लिए रूंगटा की अर्जी में बताए गए आधार पूरी तरह से बेतुके और अवांछित हैं।

अदालत ने कहा कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ तय आरोपों की प्रकृति के अध्ययन से यह साफ है कि स्क्रीनिंग कमेटी की दो बैठकों सहित इस्पात मंत्रालय तथा कोयला मंत्रालय में हुई कार्यवाही का इस मामले से कोई मेल नहीं है। रूंगटा ने 27वीं और 30वीं स्क्रीनिंग कमेटी के गठन से संंबंधित कुछ खास दस्तावेज तथा ब्यौरा लिखे जाने और संबंधित मंत्रालयों एवं सदस्यों के बीच इसे बांटने के तरीके से जुड़े रिकॉर्ड पेश किए जाने का भी अनुरोध किया था। सिंह और राव के संबंध में आरोपी ने अपनी अर्जी में कहा था कि वे उनके बचाव के लिए जरूरी गवाह हैं क्योंकि केवल वे ही बता सकते हैं कि किस अधिकार से स्क्रीनिंग कमेटी ने जेआईपीएल को कोयला ब्लॉक आवंटित किया। सीबीआई के वरिष्ठ लोक अभियोजक एपी सिंह ने सिंह और राव को तलब करने के अनुरेाध का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अर्जी दायर करने का उद्देश्य सुनवाई में देरी करना है।

आरएस रूंगटा के अलावा इस मामले के दो अन्य आरोपी जेआईपीएल और उसके एक अन्य निदेशक आर सी रूंगटा हैं। जेआईपीएल और दोनों आरोपियों के खिलाफ इससे पहले अदालत ने सुनवाई की थी। अदालत ने कथित रूप से झूठे और फर्जी दस्तावेजों के आधार कोयला ब्लॉक का आवंटन सुनिश्चित करने के लिए उनके खिलाफ आरोप तय किए थे। न्यायाधीश ने 23 पेज के अपने आदेश में कहा कि दो प्रस्तावित गवाहों तत्कालीन कोयला राज्यमंत्री डी नारायण राव और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को, जो उस समय कोयला मंत्री भी थे, तलब करने के अनुरोध वाली अर्जी खारिज की जाती है क्योंकि संबंधित अर्जी परेशान करने वाली है और इसका उद्देश्य सुनवाई में देरी करना है। 

 

 

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