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सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया साइट पर निजता के बारे में सरकार से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने अर्जी पर केंद्र और टाई से जवाब मांगा कि व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों ने निजी संवाद का व्यावसायिक इस्तेमाल करने के लिए 15.7 करोड़ भारतीयों की निजता का उल्लंघन किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया साइट पर निजता के बारे में सरकार से मांगा जवाब

प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के विरूद्ध दायर की गयी एक अपील पर व्हाट्सऐप और फेसबुक को भी नोटिस जारी किये हैं। उन्हें दो सप्ताह के भीतर जवाब देना है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्हाट्स अप को पिछले साल 25 सितंबर तक सूचनाएं फेसबुक के साथ साझा करने से रोक दिया था, उसी दिन व्हाट्स अप की नयी नीति आयी थी।

कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी की अपील में उच्च न्यायालय के फैसले की इस आधार पर आलोचना की गयी है कि 25 सितंबर के बाद उपयोगकर्ताओं द्वारा साझा की सूचनाओं पर कोई राहत नहीं दी गयी और यह संविधान के अनुच्छेद 19 :भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: और अनुच्छेद 21 :जीवन का अधिकार: के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

पीठ ने इस मामले में अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से सहयोग करने का अनुरोध किया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि ये सोशल नेटवर्किंग साइट देश की 15 करोड़ से अधिक लोगों के अंतर-वैयक्तिक संवादों की निजता से समझौता कर रही हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने आरोप लगाया कि सोशल नेटवर्किंग साइट नागरिकों की निजता का अतिक्रमण कर रही हैं जो संविधान के अनुच्छेद 19 :अभिव्यक्ति की आजादी: और अनुच्छेद 21 :जीने का अधिकार: के उल्लंघन के समान है। उन्होंने कहा कि जीने के अधिकार में ही निजता का अधिकार भी शामिल है। भाषा

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