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कानून के छात्र संविधान ठीक से पढ़ें, लोकतांत्रिक प्रकिया को समझें: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कानून के छात्रों से संविधान का ठीक से अध्ययन करने की अपील करते हुए रविवार को उनसे कहा कि वे शासन और राज्य से जुड़े सभी मामलों में भागीदारी कर उन परिवर्तनों का माध्यम बनें, जो वे चाहते हैं।
कानून के छात्र संविधान ठीक से पढ़ें, लोकतांत्रिक प्रकिया को समझें: राष्ट्रपति

नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू) बेंग्लुरू के 24 वें सालाना दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, मैं आप सभी कानून के छात्रों से हमारे संविधान का अध्ययन ठीक से करने का आग्रह करता हूं। हमारी राजनीतिक व्यवस्था समझें, संविधान और कानून के तहत स्थापित उसकी संस्थाओं और प्रक्रियाओं को समझें। देश आज जैसा है, उसके निर्माण के क्रम में अपनाए गए विकल्पों का विश्लेषण करें। मुखर्जी ने कहा, संविधान सभा ने संविधान का मसौदा तैयार किया था। इसमें भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व था। इसलिए संविधान के रचनाकार भारत के लोग हैं जिन्होंने भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में तब्दील किया और खुद को समानता, स्वतंत्रता तथा न्याय दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि जागरूक भागीदारी के बगैर लोकतंत्र स्वस्थ नहीं हो सकता। भारत का संविधान दुनिया के उत्कृष्ट संविधानों में शामिल है। मुखर्जी ने कहा कि लिंग, जाति, समुदाय के अलावा अन्य चीजों में पारंपरिक असमानता से मुक्ति की बात करता है जिसने देश को लंबे समय से जकड़े रखा था। उन्होंने कहा कि जब 29 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा में सदस्यों ने इसे स्वीकार किया तब औपनिवेशिक शासन के 190 साल बाद भारत के लोगों ने पहली बार एक कानून स्वीकृत किया और खुद को दिया।

मुखर्जी ने कहा कहा कि यह सिर्फ वोट देने, समय-समय पर होने वाले चुनावों के जरिये शासकों को चुनना भर नहीं है। यह इससे कहीं अधिक है। इसके लिए राज्य को प्रभावित करने वाले सभी विषयों में आपकी भागीदारी की जरूरत है। आप मूकदर्शक बने नहीं रह सकते और अन्य से अपने लिए इसे करने की उम्मीद नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि छात्रों को अवश्य ही इसका विश्लेषण करना चाहिए कि मतदाता नाजुक मोड़ पर कैसे बर्ताव करता है। उन्होंने कहा कि 2014 के आम चुनाव से पहले उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में भारतीय मतदाताओं से कहा था कि आपको एक अवसर मिला है। आपको एक ऐसी सरकार चुनना है जो अवसरवादी, अस्थिर, बगैर सिद्धांतों का गठबंधन न हो। देश ने काफी झेला है, इसे राजनीतिक स्थिरता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश भर से ऐसी प्रतिक्रिया आई कि 30 साल बाद कोई एक पार्टी बहुमत के साथ उभर कर आई। उन्होंने कहा, मैं सरकार के गुण दोषों पर गौर करने नहीं जा रहा। लेकिन यह तथ्य है कि लोगों ने अपने खुद के अनुभवों से चुना। उन्होंने कहा कि हमें अपने अधिकार का इस्तेमाल गलत को सही करने में करना होगा और उन्होंने किया।

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