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संसद की कैंटीन से मोदी सरकार ने किया किनारा

आम जनता से सब्सिडी छोड़ने की अपील करने वाली सरकार के लिए संसद की कैंटीन को दी जा रही सब्सिडी मुसीबत बनती जा रही है। केंद्र सरकार ने अब इस मामले से किनारा करते हुए कहा है कि संसदीय समिति को इस तरफ ध्‍यान देना चाहिए। संसदीय मामलों के मंत्री एम. वेंकैया नायडू का कहना है यह व्‍यवस्‍था काफी समय से चली आ रही है और इसका निर्णय भाजपा सरकार ने नहीं किया है।
संसद की कैंटीन से मोदी सरकार ने किया किनारा

नई दिल्‍ली। संसद की कैंटीन में बेहद सस्‍ती दरों पर खाने-पीने की चीजें मुहैया कराने के लिए सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में खुलासा हुआ है कि पिछले पांच साल में संसद भवन परिसर की कैंटीनों को करीब 60 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है। यही वजह है कि यहां बेहद रियायती दरों पर खाने-पीने की चीजें मिलती है।

इस मामले पर किनारा करते हुए संसदीय मामलों के मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि इस विषय से संबंधित संसदीय समिति को इस मामले की ओर ध्यान देना चाहिए। साथ ही जोर दिया कि वह अकेले इस निर्णय के लिए जिम्मेदार नहीं है। नायडू ने कहा कि इस बारे में चर्चा अच्छी बात है और इसका कुछ रचनात्मक समाधान निकलना चाहिए। एक मंत्री के तौर पर वह अकेले कोई निर्णय नहीं करते हैं। संसद की व्यवस्था अलग है। लोकसभा और राज्य सभा की अपनी-अपनी समितियां है और इनके सदस्यों को इस विषय पर ध्यान देना चाहिए। हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी को समाप्त करने से जुड़े सवालों पर सीधा कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि यह काफी समय से जारी है और इसका निर्णय भाजपा सरकार ने नहीं किया है।

 

सांसदों के खाने पर 5 साल में 60 करोड़ की सब्सिडी

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, संसद की कैंटीनों में 76 लजीज व्यंजन परोसे जाते हैं जिनमें उबले अंडों से लेकर मटन और चिकन तक के व्यंजन भी शामिल हैं। इन पर 63 प्रतिशत से लेकर 150 प्रतिशत से ज्यादा तक की सब्सिडी दी जाती है। इन कैंटीनों के संचालन के लिए 2009-10 में 10.4 करोड़ रूपए और 2010-11 में 11.7 करोड रूपए की सब्सिडी दी गई। इसके अलावा 2011-12 में 11.9 करोड़ रूपए, 2012-13 में 12.5 करोड़ रूपए और 2013-14 में 14 करोड रूपए की सब्सिडी दी गई। इस प्रकार कुल 60.7 करोड़ रूपए की सब्सिडी दी गई।

 

सिर्फ रोटी पर मुनाफा

संसद की कैंटीन में रोटी एकमात्र एेसी चीज है जो मुनाफे में बेची जाती है। रोटी के लिए कच्चा सामान 77 पैसे में आता है जबकि इसे एक रूपए में बेचा जाता है। उत्तर रेलवे द्वारा संचालित इन कैंटीनों के लिए कच्चा सामान सरकार द्वारा चलाई जा रही एजेंसियों से खरीदा जाता है। इनमें केंद्रीय भंडार, मदर डेरी और डीएमएस आदि शामिल हैं। संसद भवन परिसर में चार कैंटीनें हैं। इनमें से एक संसद भवन इमारत में हैं जबकि एक संसद भवन एनेक्सी में, एक संसद भवन के स्वागत कक्ष में और एक संसद भवन लाइब्रेरी में है। सभी कैंटीन उत्तर रेलवे द्वारा संचालित हैं और हर कैंटीन में खाने की चीजों की कीमतें एक हैं। कैंटीन के लिए राशि लोकसभा के बजटीय अनुदान से मिलती है। संसद भवन परिसर में खाद्य प्रबंधन की संयुक्त समिति रोजमर्रा की गतिविधियों पर नजर रखती है।

 

 

(एजेंसी इनपुट)

 

 

 

 

 

 

 

 

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