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ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल, भाजपा समर्थित बीएमएस बाहर

केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ पहली बड़ी राष्ट्रव्यापी हड़ताल, सेवाएं प्रभावित होंने की संभावना
ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल, भाजपा समर्थित बीएमएस बाहर

 दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की 2 सितंबर यानी कल  की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से देश का चक्का जाम कितना होगा, उससे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि आखिर भारतीय मजदूर संघ ने आखिरी क्षण में इस हड़ताल से बाहर आकर क्या संदेश दिया। क्या उसके लिए अब वह अपनी भाजपा की केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के  खिलाफ बोलना मुश्किल है। और, अगर यह हड़ताल सफल हुई तो क्निया बीएमएस का असर घटेगा।

निश्चित तौर पर इस हड़ताल से देश भर में आवश्यक सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है। इस हड़ताल से जिस तरह से भाजपा से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) बाहर हुई है, उसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आखिरी क्षण में अपनी सरकार की नीतियों के विरोध में हो रही मजदूरों की गोलबंदी को तोड़ने वाला दांव माना जा रहा है।

लंबे समय से देश भर में विभिन्न यूनियनों के बैनर तले इस हड़ताल की तैयारी चल रही थी। अंधाधुध निजीकरण के खिलाफ मजदूर देश भर में गुस्से में हैं। मजदूर विरोधी श्रम कानूनों में किए जा रहे बदलाव के विरोध में इस हडताल का आह्वान किया गया है। भाजपा समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और नेशनल फ्रंट आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस ने हड़ताल में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। वामपंथी मजदूर नेता गुरुदास दास गुप्ता ने बताया कि बीएमएस द्वारा मजदूरों के मुद्दों से विश्वासघात किया गया है। यह हड़ताल मजदूरों के हकों के लिए की जा रही है और अब इसमें 10 यूनियनें शामिल हैं।

इन यूनियनों का दावा है कि सरकारी और निजी क्षेत्रों में उनके सदस्यों की संख्या 15 करोड़ है और इनमें बैंक और बीमा कंपनियां भी शामिल हैं। कल पूरी तरह से चक्का जाम किया जाएगा क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार ने एक सिरे से उनकी मांगों को अनसुना किया है।

भाकपा के सांसद डी. राजा ने आउटलुक को बताया कि प्रमुख रूप से छह मुद्दे हैं जिन पर देश भर के संगठित-असंगठित मजदूर आंदोलन पर उतर रहे है। पहला वे सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का विरोध कर रहे हैं, जो कॉरपोरेट पक्षधर हैं। सरकार श्रम सुधारों के नाम पर मजदूरों से विरोध करने का हक भी छईन रही है। दूसरा इन यूनियनों की मांग है कि देश में न्यूनतम मजदूरी को 15 हजार रुपये महीना तय किया जाना चाहिए। तीसरा नियमित और ठेके के मजदूरों के वेतन में समानता होनी चाहिए। चौथा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली यूनिवर्सल होनी चाहिए। पांचवां, पेशंन सहित तमाम सार्वजनिक सुरक्षा योजनाएं यूनिवर्सल होनी चाहिए। और, छठां रेलवे, बीमा, रक्षा आदि में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को वापस लिया जाना चाहिए।

यूनियन नेताओं ने कहा कि हड़ताल से परिवहन, बिजली गैस और तेल की आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी। हालांकि बीएमएस ने दावा किया है कि कि कल की आम हड़ताल से बिजली, तेल एवं गैस की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्रों के बड़ी संख्या में कर्मचारी श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में होने वाली हड़ताल से हट गए हैं।

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