Advertisement

गुजरात सरकार सिलिकोसिस पीड़ितों को 3 लाख रु देः सुप्रीम कोर्ट

मध्य प्रदेश के सैंकड़ों सिलिकोसिस मतृकों और पीड़ितों को आज अदालत से मिला इंसाफ, गुजरात सरकार के खिलाफ दिया आदेश
गुजरात सरकार सिलिकोसिस पीड़ितों को 3 लाख रु देः सुप्रीम कोर्ट

मध्य प्रदेश के सैंकड़ो सिलिकोसिस पीड़ितों को आज सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत हासिल हुई। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आदेश दिया कि वह मध्य प्रदेश के उन 238 मृत लोगों के परिजनों को तीन लाख रुपये का मुआवजा दे। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट में आज इस मुद्दे पर गुजरात सरकार को हार झेलनी पड़ी, वह पिछले 10 सालों से इन मतृकों और पीड़ितों को कोई भी मदद देने को तैयार नहीं थी।

अदालत ने उन 304 लोगों को तुरंत आर्थिक और मेडिकल रूप से पुनर्वास देने का भी आदेश दिया है, जो सिलिकोसिस से पीड़ित हैं। इस बारे में मध्य प्रदेश सरकार को एक महीने के भीतर अदालत में रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है। मध्य प्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर इलाके के सैंकड़ों लोग गुजरात के गोधरा और बालसिनोर इलाके में पत्थर तोड़ने वाले क्रशर में काम करने जाते हैं। ये मजदूर सिलिकोसिस बीमारी (शरीर में पत्थर के छोटे कण भरने से होने वाली बिमारी) के शिकार होकर मर जाते हैं। इन लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट में प्रसार संस्था ने जनहित याचिका दाखिल की थी। इसमें खेड़ूत मजदूर चेतना संगठन ने भी साक्ष्य मुहैया कराए थे।

amullya nidhi

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बारे में आउटलुक को बताया सिलिकोसिस पीड़ित संघ के अमूल्य निधि ने। अमूल्य ने बताया कि इस फैसले से उन सैंकड़ों परिवारों को बहुत राहत मिली है, जो सालों से मुआवजे और पुनर्वास के इंतजार में थे। अमूल्य ने बताया कि गुजरात सरकार लगातार सिलिकोसिस के मृतकों और पीड़ितों को मदद देने से इनकार कर रही थी। यहां तक कि इस बारे में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 2010 में गुजरात सरकार को इन लोगों को मुआवजा देने का जो आदेश दिया था, वह भी राज्य सरकार ने नहीं माना था। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गुजरात सरकार को आड़े हाथों लिया और जल्द से जल्द तीन लाख रुपये जमा करने को कहा। सिलिकोसिस पीड़ित संघ ने आज अदालत में 105 गांवों के 1721 लोगों का ब्यौरा भी सौंपा जो सिलिकोसिस से पीड़ित हैं और साथ ही 589 मृतकों की सूची भी दी।

अदालत ने गुजरात में चल रहे इन क्रशरों से हो रहे प्रदूषण पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को रिपोर्ट देने को भी कहा है। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad