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एनजेएसी सदस्यों के चयन के पैनल का हिस्सा नहीं बनेंगे दत्तू

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) प्रकरण में तब नया मोड़ आ गया जब भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू ने छह सदस्यीय आयोग में दो प्रमुख व्यक्तियों के चयन के लिए तीन सदस्यीय पैनल का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया।
एनजेएसी सदस्यों के चयन के पैनल का हिस्सा नहीं बनेंगे दत्तू

न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया कि न्यायमूर्ति दत्तू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है कि जब तक शीर्ष अदालत इस मामले में कोई निर्णय नहीं सुनाती तब तक वह पैनल की बैठक में शामिल नहीं होंगे।

संविधान पीठ उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित इस नए कानून की संवैधानिक वैधता के मुद्दे पर सुनवाई कर रही है। तीन सदस्यीय पैनल में प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता हैं, जो उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित छह सदस्यीय एनजेएसी में दो मशहूर व्यक्तियों के चयन एवं उनकी नियुक्ति के लिए अधिकृत हैं।

जब एनजेएसी का मामला न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की संविधान पीठ के संज्ञान में लाया गया तो पीठ ने विभिन्न वरिष्ठ वकीलों की राय सुनी कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कैसे मामले पर आगे बढ़ा जाए कि निकट भविष्य में उच्च न्यायालय में उन वर्तमान अतिरिक्त न्यायाधीशों के स्थान पर नियुक्ति की संभावना होगी, जिनका कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है।

वरिष्ठ वकीलों की राय सुनने के बाद न्यायाधीश अपने चैंबर से चले गए और 15 मिनट बाद फिर एकत्र हुए। न्यायमूर्ति खेहर ने कहा कि पीठ ने मामले में गुण-दोष के आधार पर सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है और यदि जरूरत महसूस हुई तो वह अंतरिम आदेश जारी करेगी।

पीठ ने कहा, एक आमराय बनी कि हम मामले में गुणदोष के आधार पर सुनवाई जारी रखेंगे और यदि जरूरत हुई तो हम अंतरिम आदेश जारी करेंगे। अटार्नी जनरल ने कहा कि छह सदस्यीय आयोग में मशहूर व्यक्तियों के चयन एवं उनकी नियुक्ति में पैनल का हिस्सा बनना प्रधान न्यायाधीश के लिए अनिवार्य है।

उन्होंने कहा कि इस बैठक में प्रधान न्यायाधीश के हिस्सा लेने के लिए निर्देश जारी किया जाए। हालांकि उनकी राय से वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन ने भिन्न राय प्रकट की। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन की ओर से पेश हो रहे नरीमन ने कहा कि यदि प्रधान न्यायाधीश हिस्सा नहीं ले रहे है तो पीठ अन्य को उसमें हिस्सा लेने के लिए निर्देश दे सकती है। शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी की राय भी जाननी चाही जिन्होंने कहा कि पीठ को यह देखना होगा कि क्या प्रथम दृष्टया एनजेएसी कानून के कार्यान्वयन पर स्थगन लगाने का मामला बनता है या नहीं।

हालांकि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पीठ सुनवाई जारी रख सकती हैं क्योंकि उच्च न्यायालयों में अतिरिक्त न्यायाधीशों का सवाल 20 मई के बाद उठेगा और इस बीच यदि सुनवाई चलती है तो न्यायाधीश इस बात को जान लेंगे कि प्रथम दृष्टया दृष्टिकोण क्या बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीठ को एक तरफ न्यायिक परिवार के मुखिया यानी प्रधान न्यायाधीश की संवेदनशीलता पर विचार करना होगा वहीं संसद की इच्छा पर भी गौर करना होगा, जिसने एनजेएसी के गठन का कानून बनाया है। उन्होंने कहा कि मामले पर सात-आठ दिन सुनवाई होने दें फिर पूरे मामले पर राय ली जा सकती है। साल्वे हरियाणा सरकार की ओर से पेश हो रहे हैं और वह नए कानून के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा, आज हम एकदम प्रारंभिक चरण में हैं। ऐसे में इस चरण में स्थगन लगाना सही नहीं होगा।

शीर्ष अदालत ने 23 अप्रैल को कहा था कि एनजेएसी उच्च न्यायालयों में उन वर्तमान अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले ही देख सकेगा जिनका कार्यकाल इस विवाद के लंबित रहने के दौरान खत्म होगा। उससे पहले शीर्ष अदालत को अटार्नी जनरल ने आश्वासन दिया था कि आयोग उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करेगा और आकस्मिक स्थिति में ही इस शीर्ष अदालत का रुख करेगा। इससे पहले पीठ ने रोहतगी को उच्च न्यायालयों के उन अतिरिक्त न्यायाधीशों के बारे में सक्षम प्राधिकरण से निर्देश लेने का आदेश दिया था जिनका कार्यकाल निकट भविष्य में खत्म होने जा रहा है और वो भी उस स्थिति में जब एनजेएसी का मामला शीर्ष अदालत में लंबित है।

 

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