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वायु प्रदूषण के कारण हर 23 सेकंड में एक जान जा रही है- रिपोर्ट

हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसका भविष्य भयावह है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल ही में दिये गये आंकड़े बताते हैं कि वायु प्रदूषण के कारण भारत में 1.4 मिलियन लोग असामयिक मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं, यानि यह हर 23 सेकंड में एक जान ले रहा है। जिस ईंधन का प्रयोग आज हम करते हैं वह 2030 आने तक प्रदूषकों से हवा को इतना जहरीला बना देगा कि आॅक्सीजन किट के बिना जीना और चलना-फिरना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।
वायु प्रदूषण के कारण हर 23 सेकंड में एक जान जा रही है- रिपोर्ट

गुड़गांव के स्टार्टअप सोशल क्लाउड वेंचर्स के नेतृत्व वाले एक स्वतंत्र लोगों के आंदोलन हवा बदलो द्वारा लांच किये एक आंख खोलने वाला ‘टाइम बाॅम्ब’ नाम का वीडियो, हावी प्रदूषण से उत्प्रेरित आपदा का एक रिएलिटी चेक प्रस्तुत करता है। यह हाथ में विस्मयकारी तकनीकी प्रगति के बावजूद निर्बल और उदास दिखने वाले लोगों का दृष्य प्रकट करता है, जो आॅक्सीजन किट के बोझ से दबे हुए हैं और अपनी वास्तविक उम्र से एक दशक ज्यादा उम्र के दिखते हैं। इसके लांचिंग अवसर पर सांसद मनोज तिवारी ने भी वायु प्रदूषण के खतरे के प्रति आगाह किया। 
लोगों को आरंभिक ईंधन परिवर्तन को अपनाने की जरूरत के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए हवा बदलो ने गेल (इंडिया) लिमिटेड के सक्रिय समर्थन से ‘टाइम बाॅम्ब’ वीडियो को लांच किया। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को इस तथ्य की जानकारी देना है कि भारत प्रदूषण नाम के एक टिक-टिक करते टाइम बम पर बैठा हुआ है और अगर हमने ईंधन के प्रयोग को सुधारने में देरी की, तो वे उस स्तर पर पहुंच जाएंगे जहां से लौटा नहीं जा सकता। वायु की आपदा आने वाली पीढ़ी का विनाश करेगी। गेल (इंडिया) की प्रवक्ता वंदना चनाना कहती हैं, ‘टाइम बाॅम्ब विडियो दर्शाता है की भारत का भविष्य कैसा होगा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले कुछ सालों में प्रदूषण के कारण मृत्यु दर बढ़ जाएगी। 

फोर्टिस लंग सेन्टर, फोर्टिस हाॅस्पिटल के निदेशक डाॅ. विवेक नांगिया कहते हैं, ‘प्रदूषण के कारण कई श्वसन संबंधी समस्याएं होती हैं जैसे कि अस्थमा, ब्रोंकाइटिसए लंग कैंसर और कार्डियोवैस्कुलर और यह फेफड़ों को प्रभावित करता है जिसके कारण पूरा श्वसन तंत्र प्रभावित होता है। प्रदूषण के छोटे कणों की राख के कारण त्वचा संबंधित बीमारियों की स्थिति भी पैदा होती हैं। वायु की खराब गुणवत्ता अंततः सेहत आपदा का कारण भी बनती है।’ हवा बदलो के संस्थापक निपुण अरोड़ा ने कहा, ‘टाइम बाॅम्ब हमें यह चेतावनी दे रहा है कि यदि प्रदूषण को यहीं पर नहीं रोका गया तो 2030 का भारत कैसा दिखेगा। हम बहुत स्वार्थी हो रहे हैं और एक आरामदायक जिंदगी जीना चाहते हैं, बड़े कारें, बड़ा घर और सबकुछ बड़ा चाहते हैं। एक बड़ी कार खरीदना उनकी गलती नहीं है, अपनी कार को एक स्वच्छ विकल्प पर न चलाना है। हम अपनी निर्णय लेने की अनुभव को खोते जा रहे हैं और जिस चीज को हम अभी अपनी सहूलियत समझ रहे हैं वह जल्द ही निकट भविष्य में एक सामूहिक पछतावा बन जाएगा। इस वीडियो से हम यह समझाने की कोषिष कर रहे हैं, कि अपने इन स्वार्थपूर्ण निर्णयों से हम असल में एक टाइम बम बना रहे हैं जो कि तब फटेगा जब अन्य नुकसानदायक पर्टिकुलेट मैटर्स का स्तर आॅक्सीजन के स्तर से बहुत आगे चला जाएगा और सांस लेने के लिये भी हवा नहीं बचेगी।’

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