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छोटे-छोटे मसलों से ऊपर उठकर विकास पर ध्यान दे सरकारः एसोचैम

दिल्ली में उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ‌बीच छिड़े विवाद में केंद्र सरकार के भी कूद पड़ने पर उद्योग संघ ने कड़ी टिप्पणी की है। एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत का कहना है कि राष्ट्रीय राजधानी की जनता ने अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए केजरीवाल सरकार को चुना है, लोगों को संविधान में लिखे शब्दों से कोई लेना-देना नहीं है।
छोटे-छोटे मसलों से ऊपर उठकर विकास पर ध्यान दे सरकारः एसोचैम

रावत ने बयान जारी कर कहा है कि दिल्ली के नौकरशाहों के तबादलों और नियुक्तियों पर उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री में चल रहे ताजा विवाद के कारण दिल्ली के कई अन्य विकास कार्य ठप हो गए हैं। संघीय ढांचे में विभिन्न राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें हैं जबकि केंद्र में किसी और दल सरकार हो सकती है। इसका मतलब यह नहीं कि देश को विकास कार्यों की अनदेखी कर दिल्ली जैसी समस्याओं से जूझना पड़े।

उन्होंने कहा कि दोहरी शासन प्रणाली में कोई भी नौकरशाह प्रभावी तरीके से काम नहीं कर सकता क्योंकि अलग-अलग विशेषज्ञ अलग-अलग राय देंगे कि किसका नियंत्रण सही है और कौन संविधान का पालन कर रहा है। मौजूदा समस्या का सबसे अच्छा हल यही होगा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाए और यहां जिस किसी दल की सरकार बने, वह न सिर्फ राजधानी की जनता के प्रति जिम्मेदारी निभाए बल्कि देशहित का भी ख्याल करे। केंद्र सरकार को यदि लगता है कि देश का शासन चलाने के लिए उसे अलग प्रांत की जरूरत है तो वह लुटियन की दिल्ली का कुछ हिस्सा अपने अधीन रख सकती है। इस प्रकार दिल्ली के ज्यादातर हिस्से पर चुनी हुई सरकार को शासन चलाने का पूर्ण अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि ये समस्याएं जल्द ही सुलझ जाएंगी क्योंकि देश में इनसे भी कई बड़ी समस्याएं हैं। जल, बिजली, स्वास्‍थ्य, शिक्षा और साफ-सफाई जैसी समस्याओं से करोडों भारतीय जूझ रहे हैं। ये सिर्फ भाजपा, कांग्रेस या आम आदमी पार्टी की समस्याएं नहीं हैं, समस्त राजनीतिक दलों को इनसे निपटने की जिम्मेदारी निभानी होगी। 

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