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मंटो की खातिर कान गईं नंदिता

नंदिता दास यूं तो पहले भी दो बार जूरी के सदस्य के रूप में कान फिल्मोत्सव में शिरकत कर चुकी हैं। लेकिन इस बार वह फिल्में देखने या रेड कारपेट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बजाय कुछ खास काम ले कर गई हैं।
मंटो की खातिर कान गईं नंदिता

यह सआदत हसन मंटो की कहानियों का जादू ही है कि आज भी उनकी कहानियों के पाठकों की कमी नहीं है। अभिनेत्री और निर्देशक नंदिता दास चाहती हैं कि मंटो की किस्सागोई बॉलीवुड के परदे पर दिखाई दे। अपनी आगामी फिल्म वह मंटों की कहानियों पर ही बनाना चाहती हैं। इसी खास मकसद के लिए वह इस बार कान आई हैं। यहां वह मंटो की कहानियों पर फिल्म के लिए फाइनेंसरों की तलाश कर रही है।

नंदिता ने कहा कि इस बार फिल्मोत्सव में वह केवल दो फिल्में देख पाईं हैं कयोंकि वह अपने काम में लगी हुई है और उसी पर ध्यान लगा रही हैं। उन्होंने कहा कि मंटो दिमाग और दिल के बीच के रिश्तों में विश्वास करते थे और उन्होंने राष्ट्रीय पहचान एवं सीमाओं को खास तवज्जो नहीं दी।

नंदिता ने कहा, ‘कई सहयोगियों से साथ मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म बनाना मंटो की विचारधारा पर काम करने की तरह है। दरअसल इसीलिए मैं यह भी चाहती हूं कि इस फिल्म से कोई पाकिस्तानी निर्माता जुड़े। उन्होंने कहा कि वह मंटो पर फिल्म बनाने के विचार पर पिछले 10 वर्षों से अधिक  समय से काम कर रही हैं। वह फिराक फिल्म के निर्माण से भी पहले से इस फिल्म पर काम कर रही हैं पर यह काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है।

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