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प्रतिरोध: देश भर में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' का प्रदर्शन

2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म मुजफ्फरनगर बाकी है काफी चर्चा में रही है। यह फिल्म दंगे के दौरान के हालात और वहां के स्थानीय लोगों की भावनाओं का बखूबी इजहार करती है। फिल्म के जरिये उन तत्वों की तरफ इशारा किया गया है जो मुजफ्फरनगर के हालात के जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि इस फिल्म का प्रदर्शन कई संगठनों के गले नहीं उतर रहा है। कई बार फिल्म के प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकने की कोशिश की गई। ऐसे ही दमनकारी आक्रमणों के प्रतिरोध में फिल्म की टीम और अन्य कई संगठनों ने मिलकर एक ही दिन पूरे देश में फिल्म का प्रदर्शन किया।
प्रतिरोध: देश भर में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' का प्रदर्शन

नई दिल्ली। मुजफ्फरनगर दंगे पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘मुजफ्फरनगर बाकी है’ की स्क्रीनिंग 25 अगस्त को पूरे देश में एक साथ की गई। देश के करीब 50 शहरों में 60 जगहों पर इस फिल्म का प्रदर्शन किया गया। फिल्म का इतने बड़े पैमाने पर देश भर में प्रदर्शन पिछले दिनों फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान हुए हमले के विरोध में किया गया था। दरअसल बीते 1 अगस्त को दिल्ली विश्‍वविद़यालय के एक कॉलेज में फिल्म ‘मुजफ्फरनगर बाकी है’ के प्रदर्शन के दौरान राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ परिवार की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने हंगामा करते हुए फिल्म का प्रदर्शन रोकने के साथ साथ दर्शकों के साथ दुर्व्यवहार भी किया था। मंगलवार को एकसाथ देश भर में हुए प्रदर्शन में हजारों लोगों ने फिल्म ‘मुजफ्फरनगर बाकी है’ को देखा। राजधानी दिल्ली में ही कई जगहों पर फिल्म का प्रदर्शन किया गया।

2013 के मुजफ्फरनगर दंगे में नेताओं की सहभागिता और राजनीतिक दलों की भूमिका को रेखांकित करती फिल्म ‘मुजफ्फरनगर बाकी है’ काफी चर्चा में रही है। फिल्म का पहले भी कई स्थानों पर प्रदर्शन हुआ है। अब तक देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से लेकर कई अन्य जगहों पर इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन हो चुका है। पहले भी प्रदर्शन के दौरान कई बार हल्का फुल्का विरोध होता रहा है। पर कुछ दिनों पहले दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में फिल्म के प्रदर्शन के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने बाधा डालते हुए न सिर्फ फिल्म के प्रदर्शन को रोक दिया था बल्कि फिल्म निर्माण से जुड़े लोगों और वहां मौजूद दर्शकों पर हमला भी किया। मारपीट और गाली गलौज के जरीये आवाज दबाने के इन प्रयासों के प्रतिरोध में फिल्म की टीम और ‘प्रतिरोध का सिनेमा’ मंच ने इस फिल्म का प्रदर्शन एक ही दिन पूरे देश में कर के जवाब देने का निर्णय लिया। इसी जज्बे के तहत मंगलवार को देश भर में फिल्म का प्रदर्शन कर, एक प्रकार से भगवा संगठनों की ओर से हो रहे हिंसक दमन का विरोध किया गया।

दिल्ली के आईटीओ स्थित गांधी शांति प्रतिष्‍ठान में प्रदर्शन के मौके पर 'मुजफ्फरनगर बाकी है' के निर्देशक नकुल सिंह साहनी ने कहा, आज हम इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म का देश भर में एकसाथ प्रदर्शन भगवा संगठनों के बढ़ते हमलों और सरकार के दमनात्मक कदमों के प्रतिरोध में कर रहे हैं। एफटीआईआई के पूर्व छात्र रहे साहनी ने कहा कि आज केंद्र सरकार संस्थानों में गैरजरूरी दखल देते हुए उनका माहौल और स्वरूप बिगाड़ने के लिए अपने लोगों को भर रही है। एफटीआईआई के अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति इसी का उदाहरण है। इसके साथ ही सरकार में मौजूद भाजपा अपने संगठनों के जरिये आमलोगों की आवाज को दबाने का लगातार प्रयास कर रही है जिसका उदाहरण है फिल्म के प्रदर्शन के दौरान किया गया हमला। नकुल ने लोगों से अपील की कि सबलोग अपने स्तर पर फिल्म का हर जगह प्रदर्शन करने का प्रयास करें। हालांकि नकुल ने बताया कि मंगलवार को फिल्म के प्रदर्शन के दौरान भी एकाध जगहों पर बाधा डालने का प्रयास किया गया पर वह विफल हो गया। चेन्नई और कोलकाता के शांतिनिकेतन में फिल्म के प्रदर्शन को पुलिस ने ही रोक दिया। लेकिन उसके बावजूद इन शहरों में अन्य दूसरे स्थानों पर फिल्म दिखाने की फौरी व्यवस्था कर फिल्म का प्रदर्शन सफलता पूर्वक किया गया।

फिल्म देखने अच्छी खासी संख्या में आए लोगों ने फिल्म की काफी तारीफ की। फिल्म के प्रदर्शन के बाद लोगों ने काफी देर तक तालियां बजाकर 'मुजफ्फरनगर बाकी है' की पूरी टीम की हौसला अाफजाई की।

 

 

 

 

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