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पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध आतंकवाद का हल नहीं: करण जौहर

फिल्मकार करण जौहर का कहना है कि उड़ी में हुए आतंकी हमले में गई जानों के लिए उनका दिल भी रोता है और वह देश का गुस्सा समझते हैं लेकिन पाकिस्तान के कलाकारों का बहिष्कार कर देना आतंकवाद का हल नहीं है।
पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध आतंकवाद का हल नहीं: करण जौहर

करण जौहर ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, मैं हमारे आसपास के गुस्से को समझता हूं और इसके साथ सहानुभूति रखता हूं। गंवाई गई जिंदगियों के लिए मेरा दिल रोता है। कोई भी चीज आतंक के इस भयावह अनुभव को सही नहीं ठहरा सकती। करण ने कहा, फिर आपका सामना पाक कलाकारों पर प्रतिबंध लगाने जैसी बातों से होता है। यदि यह वाकई हल होता तो यह कदम उठाया जा चुका होता। उन्होंने कहा, लेकिन यह हल नहीं है। मैं इसमें यकीन नहीं रखता। इस स्थिति को सुलझाने के लिए बड़े प्रभावशाली पक्षों को एकसाथ आना चाहिए और यह हल हुनर या कला को प्रतिबंधित करके नहीं निकाला जा सकता। करण का यह बयान दरअसल मनसे द्वारा फवाद खान और माहिरा खान जैसे पाकिस्तानी कलाकारों को भारत छोड़ने की धमकी देने के बाद आया है। इन कलाकारों को यह भी कहा गया कि यदि वे भारत नहीं छोड़ेंगे तो उनकी फिल्मों की शूटिंग बाधित की जाएगी। फवाद करण की आने वाली फिल्म ए दिल है मुश्किल में हैं। यह फिल्म इस दिवाली पर प्रदर्शित होने वाली है। 

करण ने कहा कि इस बारे में सार्वजनिक तौर पर बोलने के दौरान वह कमजोर महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, अगर मेरी फिल्म को इसकी वजह से निशाना बनाया जाता है तो यह मुझे बेहद दुखी कर देगी क्योंकि मेरा इरादा प्यार से एक चीज लेकर आने का था। जब करण से पूछा गया कि वे इस तरह की धमकियों से कैसे निपटेंगे, तो उन्होंने कहा, मैं नहीं जानता। मैं हर किसी से अनुरोध करता हूं कि इसे व्यापक तौर पर देखें और स्थिति को समझें। यह एक व्यापक स्थिति है और इसका लेना-देना हुनर को प्रतिबंध करने से नहीं है। करण ने कहा कि कई बार रचनात्मक लोग इतना ज्यादा निराश महसूस करते हैं कि वे सिर्फ हाथ जोड़कर यही कहना चाहते हैं, हमें अकेला छोड़ दीजिए। उन्होंने कहा, मैं बस एक फिल्मकार हूं, जो एक प्रेम कहानी बयां कर रहा है। करण ने कहा, हम रचनात्मक उद्योग से हैं। हम फिल्में बनाते हैं, प्यार फैलाते हैं। दुनिया में और हमारे देश में लाखों लोग ऐसे हैं, जो हमारे काम से खुश हैं। हमें अब और आसान निशाना नहीं बनना चाहिए। हमारा योजनाओं में कोई स्थान नहीं है लेकिन हम चीजों को बेहतर और खुशनुमा बना सकते हैं।

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