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ई लेनदेन: धोखाधड़ी पर अंकुश की कवायद में जुटा रिजर्व बैंक

इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन (ई लेनदेन) में होने वाली धोखाधड़ी से पैदा होने वाली समस्याओं और ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक एक नियामक ढांचा तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है।
ई लेनदेन: धोखाधड़ी पर अंकुश की कवायद में जुटा रिजर्व बैंक

आजकल ई लेनदेन का चलन आम हो गया है। अक्सर इसको लेकर ग्राहकों समस्याओं का सामान करना पड़ता है। सरकार इस विषय पर गंभीरता से विचर कर रही है। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने मंगलवार को राज्यसभा में इस संदर्भ में पूरक सवालों के जवाब में जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक इस संबंध में विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक इसके लिए एक नियामक ढांचा के निर्माण की दिशा में काम कर रहा है। सिन्हा ने कहा, भारत में 87 प्रतिशत लेन-देन नकद होते हैं जबकि अन्य देशों में ऐसा नहीं है। सिन्हा ने नकदी रहित लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और कहा कि रिजर्व बैंक ने कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था शुरू करने के लिए एक भुगतान प्रणाली, विजन दस्तावेज 2012-15 तैयार किया है।

 

उन्होंने कहा कि इस दस्तावेज का मुख्य फोकस, भुगतान प्रणाली में कार्यक्षमता को बढ़ाना, मानकीकरण, एकीकृत भुगतान प्रणाली का विकास आदि है। कम नकदी समाज की ओर अग्रसर होने के साथ ही सुगम्यता और समावेशन का संवर्धन, नवोन्मेष और नए उत्पादों का विकास इसका अंतिम लक्ष्य है। सिन्हा ने कहा कि हम डिजिटल पेमेंट क्षेत्र में क्रांति लाने जा रहे हैं। उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे काले धन पर भी दबाव बनेगा। बड़े लेन-देन में पैन कार्ड अनिवार्य बनाए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे काले धन पर भी काबू हो पाएगा। बैंकिंग मित्रों के बारे में पूछे गए सवाल पर सिन्हा ने कहा कि इससे होने वाली आय उनकी अतिरिक्त आय है। उन्होंने कहा कि ऐसे कर्मियों का मुख्य रोजगार कुछ और होता है और उन्हें हर लेन-देन पर कमीशन दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि बैंकिंग मित्रों की आय में वृद्धि हो।

 

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