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अरुण जेटली को राजन की नसीहत, नेत्रहीनों से माफी मांगी

भारत की अर्थव्यवस्‍था की स्थिति को लेकर रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन और केंद्रीय वित्त मंत्री के अलग-अलग विचार बुधवार को एक बार फिर सबके सामने आ गए जब राजन ने दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्‍थ के तमगे को लेकर लोगों से उन्माद में नहीं आने की बात कही।
अरुण जेटली को राजन की नसीहत, नेत्रहीनों से माफी मांगी

गौरतलब है कि एक दिन पहले ही अरुण जेटली ने न्यूयॉर्क में कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्‍था इस मुश्किल दौर में भी 7.5 फीसदी की दर से बढ़ रही है और अगर किसी दूसरे देश की विकास गति ऐसी होती तो वह खुशी से फूला नहीं समाता। जेटली ने यह बयान राजन के उस बयान के जवाब में दिया था जिसमें आरबीआई गवर्नर ने भारतीय अर्थव्यवस्‍था की तुलना अंधों में काना राजा से की थी। राजन के आज के बयान को उनके इस पुराने बयान को ही सही ठहराने का प्रयास माना जा रहा है।

राजन ने कहा, केंद्रीय बैंकर को व्यावहारिक होना होता है और मैं इस उन्माद का शिकार नहीं हो सकता कि भारत सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली विशाल अर्थव्यवस्था है। अपनी अंधों में काना राजा टिप्पणी को स्पष्ट करते हुए राजन ने कहा कि उनकी टिप्पणियों को बेवजह अलग-थलग करके देखा गया और उन्होंने दृष्टिहीनों से माफी भी मांगी यदि उन्हें इस मुहावरे के इस्तेमाल से कोई तकलीफ हुई हो तो। उन्होंने याद दिलाया कि ब्रिक्स देशों में भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है। राजन ने कहा, हमें अपने मुकाम पर पहुंचने का दावा करने से पहले लंबा सफर तय करना है। हम हर भारतीय को मर्यादित आजीविका दे सकें, इसके लिए लगातार आर्थिक वृद्धि के इस प्रदर्शन को 20 साल तक बरकरार रखने की जरूरत है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा महत्वपूर्ण है लेकिन इसे ऐसे देश के तौर पर देखा जा रहा है जिसने अपनी क्षमता से कम प्रदर्शन किया है और उसे ढांचागत सुधार को कार्यान्वित, कार्यान्वित और कार्यान्वित करना चाहिए। राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान (एनआईबीएम) के दीक्षांत समारोह में राजन ने कहा कि भारत का अभी अपनी क्षमता वृद्धि प्राप्त करना शेष है हालांकि, वह इस दिशा में अग्रसर है और लंबित सुधारों के साथ यह वृद्धि में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज कर सकता है।

पिछले सप्ताह एक विदेशी अखबार को दिए साक्षात्कार का हवाला देते हुए राजन ने कहा कि उनकी टिप्पणी को भारत की सफलता को नीचा दिखाने के तौर पर देखा गया, जबकि इस टिप्पणी में और अधिक प्रयास करने पर जोर दिया गया है। आरबीआई गर्वनर ने इस साक्षात्कार में भारत के सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्था की स्थिति को अंधों में काना राजा करार दिया था।

उन्होंने कहा, सार्वजनिक पदों पर बैठे लोग जो भी शब्द या मुहावरे बोलते हैं उनका अर्थ निकाला जाता है। जब शब्दों को अखबारों की सुर्खियों में बेवजह तूल दिया जाता है तो यह किसी के लिए आसान हो जाता है जो इसमें शरारत के लिए अपने अर्थ शामिल करना चाहता है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजन की टिप्पणी का खंडन करते हुए कहा था कि विश्व के शेष हिस्से के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था ज्यादा तेजी और दरअसल सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज कर रही है। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी राजन की टिप्पणी को हल्के में नहीं लिया और कहा कि इसके स्थान पर बेहतर शब्दों का उपयोग किया जा सकता था।

राजन ने आज कहा कि आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले शब्दों और मुहावरों का सबसे अधिक आसानी से और जानबूझ कर गलत अर्थ निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा, यदि हम तर्कसंगत सार्वजनिक बहस करना चाहते हैं तो हमें शब्दों को उनके परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए न कि मीनमेख निकालना चाहिए। उन्होंने हालांकि, नेत्रहीनों से माफी मांगी जिन्होंने राजन की इस मुहावरे के उपयोग के लिए आलोचना की। राजन ने कहा, मैं उस वर्ग से माफी जरूर मांगना चाहता है जिसे मैंने अपने शब्दों से तकलीफ पहुंचाई और वह हैं नेत्रहीन।

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