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विरोध का असर, जीएम सरसों पर नहीं हुआ फैसला

भारत में अनुवांशिक तौर पर संवर्धित (जीएम) सरसों की खेती को मंजूरी देने के मुद्दे पर बुलाई गई बैठक बेनतीजा रही। किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन के बीच इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।
विरोध का असर, जीएम सरसों पर नहीं हुआ फैसला

पर्यावरण मंत्रालय के तहत बनी जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमेटी (जीईएसी) वह अग्रणी संस्था है जिसे देश में जीएम फसलों को मंजूरी देने के लिए अधिकृत किया गया है। जीईएसी की आज हुई महत्वपूर्ण बैठक किसानों और कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन के बीच इस मुद्दे पर कोई निर्णय लिए बिना ही समाप्त हो गई। 

पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, हम आज इस मामले पर कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं। आज हुई बैठक में जीईएसी के द्वारा जीएम फसलों की वाणिज्यिक खेती की व्‍यवहारिकता का आकलन किए जाने की संभावना थी जबकि बैठक को निरस्‍त करने की मांग करते हुए बड़ी तादाद में किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन किया। 'सरसों सत्याग्रह' बैनर के तहत जुटे प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें जीएम सरसों के वाणिज्यिकरण की योजना को आगे नहीं बढ़ने की अपील की गई है। दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा भी विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुए। 

जीएम विरोधी प्रदर्शनकारियों में शामिल कविता कुरघंती ने बताया कि पर्यावरण मंत्रालय ने उन्‍हें आश्वस्त किया है कि आज की बैठक में जीएम सरसों के लिए कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने इस मसले पर कोई आगे फैसला करने से पहले परामर्श बैठक करने का भी आश्वासन दिया है। समूह को यह भरोसा भी दिया गया है कि जीईएसी में स्वास्थ्य मंत्रालय के एक प्रतिनिधि को भी शामिल किया जायेगा क्योंकि यह मसला सीधे तौर पर जन स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। कुरघंती ने कहा है यह कतई मंजूर नहीं होगा कि नागरिकों और यहां तक कि राज्य सरकारों की आपत्तियों के बावजूद भी जीईएसी पूरे मामले में पहले की तरह पूरी गोपनीयता के साथ चुपचाप आगे बढ़ती रहे। 

 

 

 

 

 

 

 

 

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