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पंचवर्षीय योजना का दौर खत्म, अब वित्त वर्ष का कैलेंडर भी बदलेगी मोदी सरकार

वित्त वर्ष को अप्रैल के बजाय जनवरी से शुरू करने का सुझाव है। नीति आयोग ने देश की अर्थव्यवस्था को तेज रफ्तार देने लिए 300 विशेष कदम सुझाए हैं।
पंचवर्षीय योजना का दौर खत्म, अब वित्त वर्ष का कैलेंडर भी बदलेगी मोदी सरकार

रविवार को हुई नीति आयोग संचालन समिति की बैठक में मोदी ने कहा कि वित्त वर्ष जनवरी से दिसम्बर करने को लेकर सुझाव आए है। उन्होंने राज्यों से इस बारे में पहल करने की अपील की है। हालांकि, अभी इसे लागू करने के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं की गई। संभवत: मानसून और फसल चक्र को देखते हुए वित्त वर्ष के स्वरूप में बदलाव की सिफारिश है। अभी भारत में वित्त वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है, जबकि कई देशों में यह कैलेंडर वर्ष के साथ 1 जनवरी से ही शुरू होता है। देश में एक अप्रैल से वित्त वर्ष शुरू होन की परंपरा अंग्रेजों के समय शुरू हुई थी। अस्सी के दशक में भी वित्त वर्ष को कैलेंडर वर्ष के साथ शुरू करने पर विचार हो चुका है। लेकिन बदलाव नहीं किया गया। मोदी सरकार नेहरू के जमाने की पंचवर्षीय योजना को पहले ही खत्म कर चुकी है। आम बजट पेश करने की तारीख भी फरवरी के आखिरी कार्यदिवस के बजाए पहले कार्यदिवस की जा चुकीेे की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई परिषद की तीसरी बैठक में आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या ने पंचवर्षीय योजना के बजाय 15 वर्षीय दीर्घकालिक विकास की परिकल्पना के साथ-साथ-साथ सात वर्षीय रणनीति और तीन वर्षीय कार्य एजेंडा का खाका पेश किया। इन्हें राज्यों की सलाह के आधार पर तैयार जाएगा। देश के विकास के लिए 300 विशेष कार्य बिंदुओं की पहचान की भी की गई है। कार्य एजेंडा की अवधि 14वें वित्त आयोग की अवधि के बराबर है। इससे केंद्र और राज्यों के आकलनों के अनुसार कोष जारी करने में स्थिरता मिलेगी। 

ममता, केजरीवाल अनुपस्थित

राष्ट्रपति भवन में आयोजित नीति आयोग संचालन परिषद की बैैैैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं हुए। बैठक का मुख्य एजेंडा देश की आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए 15 साल के दृष्टि दस्तावेज पर विचार करना था। बैठक में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी अनुपस्थित रहे। बड़ी संख्या में राज्यों के ख्यमंत्री इस बैठक में इसलिए शामिल हुए हैं क्याेेंकि प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके आधिकारिक प्रतिनिधियों को बैठक में शामिल होने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

विपक्ष शासित राज्यों में से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. के. पलानीस्वामी बैठक में शामिल हुए। इस बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और ओडि़शा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी मौजूद हैं। 

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