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आर्थिक मोर्चे पर धीमी पड़ी रफ्तार, विकास दर घटकर 7.1 फीसदी हुई

सूखा और खनन व निर्माण क्षेत्र की धीमी गति के चलते विकास दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर 7.1 प्रतिशत रह गयी है जो कि पिछली छह तिमाही में सबसेे कम है। जीडीपी में वृद्धि का ताजा स्तर वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.5 प्रतिशत की अपेक्षा कम है।
आर्थिक मोर्चे पर धीमी पड़ी रफ्तार, विकास दर घटकर 7.1 फीसदी हुई

हालांकि अर्थव्यवस्था के लिए सुखद संकेत यह है कि मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र ने 9.1 प्रतिशत वृद्धि हासिल की है। साथ ही सेवा क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन जारी रखते हुए इस अवधि में 9.6 प्रतिशत वृद्धि दर का आंकड़ा छुआ है। वहीं निजी क्षेत्र के उपभोग व्यय में तेजी से अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ने और निजी क्षेत्र की स्थिति में सुधार का संकेत मिलने लगा है। इस बीच जीडीपी के इन आंकड़ों के मद्देनजर सरकार पर अर्थव्यवस्था को गति देने वाले सुधारात्मक उपाय करने और रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दवाब बढ़ सकता है।

केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के जीडीपी के आंकड़े जारी किए जिसमें अर्थव्यवस्था की यह तस्वीर सामने आयी है। सीएसओ के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में 7.3 प्रतिशत वृद्धि हुई है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 7.2 प्रतिशत थी। कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र के जीवीए में पहली तिमाही में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि पिछले साल समान अवधि में यह 2.4 प्रतिशत थी।

इस साल अप्रैल से जून के दौरान सबसे खराब स्थिति खनन क्षेत्र की रही है। खनन क्षेत्र में वृद्धि दर नकारात्मक रही। इसकी विकास दर शून्य से भी 0.4 नीचे रही। जबकि पिछले साल समान तिमाही में यह 8.5 प्रतिशत थी। इसी तरह निर्माण क्षेत्र के जीवीए में भी पहली तिमाही में मात्र 1.5 प्रतिशत वृद्धि हुई है जबकि पिछले साल समान अवधि में यह 5.6 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 7.1 प्रतिशत वृद्धि रही है जो कि विगत छह तिमाहियों में न्यूनतम है। इससे पूर्व वित्त वर्ष 2014-15 की तीसरी तिमाही में विकास दर 6.6 प्रतिशत थी।

जीवीए और जीडीपी के आंकड़ों में अंतर इसलिए है क्योंकि राष्ट्रीय आय की गणना की नई विधि के अंतर्गत जीडीपी का आकलन करने के दौरान आधार मूल्यों पर जीवीए में करों को जोड़ दिया जाता है जबकि विभिन्न उत्पादों पर सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी को घटा दिया जाता है।

सीएसओ के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में केंद्रीय उत्पाद शुल्क, आयात शुल्क और सेवा क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले वृद्धि कम रही है। दूसरी ओर प्रमुख सब्सिडी खर्च में पिछले साल की 26 प्रतिशत गिरावट के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में 53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यही वजह है कि जीवीए ऊपर जाने के बावजूद चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि पिछले साल के मुकाबले थोड़ी कम रही है।

 

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