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‘सीबीएफसी की नियम पुस्तिका पर पुनर्विचार करने की जरूरत है’

हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर ने सेंसर बोर्ड को अपनी नियम पुस्तिका पर पुनर्विचार करने की बात कही। उन्होंने कहा, सेंसर बोर्ड के दिशा-निर्देशों को लिखे हुए छह दशक से अधिक समय बीत गया है इसलिए इस पर एक बार पुनर्विचार करना चाहिए।
‘सीबीएफसी की नियम पुस्तिका पर पुनर्विचार करने की जरूरत है’

पहलाज निहलानी की अगुवाई वाला केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) फिल्मों में मनमाने तरीके से कट लगाने का सुझाव देकर विवादों में आ गया है। कई जाने माने फिल्म निर्माताओं ने भारत में फिल्मों के प्रमाणन का तरीका बदलने की मांग की है।

इस संबंध में अनुपम खेर ने बताया, मेरा मानना है कि देश में हमें स्वतंत्रता है। बात यह है कि नकारात्मक चीज बिकती हैं और अगर आप उन चीजों पर ध्यान नहीं दें तो कोई भी परवाह नहीं करेगा। इन दिनों सकारात्मक चीजें खबर नहीं बनती हैं। कुछ नाकारात्मक होना चाहिए।

खेर ने कहा, हमें निश्चित रूप से कुछ चीजों पर पुनर्विचार करना होगा। सेंसर पर पुनर्विचार करना चाहिए। नियम पुस्तिका 1952 में लिखी गई थी। मैं नहीं जानता कि श्याम बेनेगल की सिफारिशों का क्या हुआ।

अक्तूबर 2003 से लेकर 2004 तक सेंसर बोर्ड के प्रमुख रहे खेर ने कहा कि बेनेगल की सिफारिशों पर विचार किया जाना चाहिए।

सरकार ने सलाह देने के लिए विख्यात फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है, लेकिन इन्हें अभी तक लागू नहीं किया गया है। बेनेगल ने अपनी सिफारिशों में यू:ए की दो श्रेणियां बनाने की सिफारिश की है जिसमें एक श्रेणी 12 साल से अधिक उम्र और दूसरी श्रेणी 15 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए हो। साथ ही वयस्क की दो श्रेणियां बनाई जाने को कहा गया है जिनमें एक श्रेणी सामान्य वयस्क हो और दूसरी अन्य वयस्क हो। भाषा

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