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विश्वनाथ मंदिर में विदेशियों का साड़ी पहनकर जाना अनिवार्य

वाराणसी में का‌शी विश्वनाथ मंदिर के सुरक्षाकर्मियों को अब एक अतिरिक्त जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी। उन्हें अब महिला श्रद्धालुओं की पोशाक पर नजर रखनी होगा, खासकर विदेशी महिलाओं पर जो बदन दिखाऊ या घुटने से ऊपर वाली छोटे वस्‍त्र पहनकर दर्शन के लिए आ जाती हैं।
विश्वनाथ मंदिर में विदेशियों का साड़ी पहनकर जाना अनिवार्य

मंदिर प्रशासन ने नया नियम लागू किया है कि ऐसे श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश से पहले या तो उचित कपड़े पहनकर या पास की दुकान से साड़ी पहनकर आने के लिए कहा जाएगा। मंदिर प्रशासन ने बदन दिखाऊ कपड़े पहनकर आने वाली विदेशी महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है और उनके लिए ड्रेस कोड लागू ‌कर दिया है। ऐसे विदेशियों को अब साड़ी पहनकर आना होगा। इसके लिए प्रशासन ने दोनों प्रवेश द्वार पर 25 साड़ियों की भी व्यवस्‍था की है। ऐसे श्रद्धालुओं को साड़ी पहनने में मदद करने के लिए प्रवेश द्वार पर महिला पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है।

काशी विश्वनाथ मंदिर के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी. एन. द्विवेदी ने बताया कि स्‍थानीय श्रद्धालुओं, खासकर दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं की मांग पर विदेशियों के लिए यह ड्रेस कोड लागू किया गया है, जिन्हें विदेशियों के बदन दिखाऊ कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश करने पर आपत्ति है। द्विवेदी ने कहा, ‘दक्षिण भारत के श्रद्धालु तिरुपति बालाजी मंदिर में लागू ड्रेस कोड की तर्ज पर महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता लागू करने की मांग कर रहे हैं। विदेशी पर्यटक जब छोटे कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश करते हैं तो वहां बड़ी असहज स्थिति हो जाती है। पर्यटकों के जींस और पैँट पहनने पर हमें कोई आपत्ति नहीं है।’

उन्होंने बताया कि मंदिर प्रशासन भविष्य में पुरुष श्रद्धालुओं के लिए भी धोती के रूप में ड्रेस कोड लागू करने की योजना बना रहा है। यह बदलाव जल्द ही आने वाला है। इसकी शुरुआत साड़ी ड्रेस कोड से की गई है। यह ड्रेस कोड भारतीय महिलाओं पर भी लागू होगा। विदेशी पर्यटकों की पोशाक दो जगह जांच की जाएगी- पहला मंदिर परिसर के बाहर पुलिस आउटपोस्ट पर जहां वे सुरक्षाकर्मियों के समक्ष अपना पासपोर्ट दिखाते हैं। उनकी जांच मंदिर परिसर में काउंटर पर भी की जाएगी। काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रतिदिन 60 हजार श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं जिनमें पांच प्रतिशत विदेशी श्रद्धालु होते हैं।  

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