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भजन और सूफियाना कलामों की गूंज

दिल्ली का बहुचर्चित सालाना भक्ति संगीत समारोह साहित्य कला परिषद और दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग की ओर से पेश किया जा रहा है।
भजन और सूफियाना कलामों की गूंज

हम कौन सी भाषा बोलते हैं या किस संस्कृति से ताल्लुक रखते हैं, यह मायने नहीं रखता। मानव चेतना के कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो सभी वास्तविक सीमाओं से परे गुजरते हैं। परम सत्ता के प्रति समर्पण भाव एक ऐसी शाश्वत भावना है जो कई रूपों में अभिव्यक्त हो सकता है। चाहे भजन हो या कव्वाली। भक्ति संगीत अभिव्यक्ति का ऐसा भाव है जो भक्तों के दिलों को हमेशा झकझोर देता है।

दक्षिण भारत की भक्ति परंपराओं से लेकर मीरा के भजन और ‘निर्गुण’ भक्ति के गीत सालाना भक्ति संगीत समारोह में श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। भक्ति संगीत संध्या में दिग्गज कलाकारों की विविधतापूर्ण आध्यात्मिक और भक्ति गीतों की कर्णप्रिय धुनों से माहौल सूफियाना हो गया है।

भक्ति संगीत संध्या का आगाज मीता पंडित के गायन से हुआ। मीता ने दक्षिण भारत की खूबसूरत भक्ति परंपराओं से श्रोताओं का परिचय कराया। इसके बाद इकबाल अहमद खान ने मीरा के भजन गाकर ऐसा समा बांधा कि भगवान कृष्ण के प्रति साध्वी मीरा के निःस्वार्थ प्रेम और समर्पण की की हूक हर श्रोता ने महसूस की।

‘अबके सावन’ गाकर चर्चित हुईं लोकप्रिय गायिका शुभा मुद्गल ने ‘निर्गुण’ यानी निराकार रचयिता के प्रति भक्तिभाव वाले गीत गा कर इस कार्यक्रम का समापन जरूर किया मगर वह श्रोताओं के दिलों में स्थायी रूप से अपनी मोहक आवाज को अंकित कर गईं।

कार्यक्रम के बाद गायिका शुभा मुद्गल ने कहा, ‘प्रत्येक आत्मा परम सत्ता के साथ जुड़ने के लिए अपना अलग रास्ता अख्तियार करती है। कुछ लोग संसार के रचयिता को वास्तविक स्वरूप से श्रेष्ठ और निराकार मानते हैं जबकि कुछ लोग उनकी परिकल्पना मानव रूप में करते हैं। विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं में लोग अपनी-अपनी भक्ति परंपराओं को विकसित एवं पोषित करते हैं। प्रत्येक प्रांत में उन्हीं संतों के दोहे गाए जाते हैं जो कभी उनके क्षेत्र में भ्रमण कर चुके थे। संगीत ऐसा रूप है जो दुनियाभर के लोगों के बीच गूंजता है और आत्मा के रहस्यमय तारों को प्रेम की मौखिक अभिव्यक्ति से जोड़ता है।’

सालाना भक्ति संगीत समारोह देश के भक्ति संगीत की विविध परंपराओं को एकजुट करने और एक मंच पर लाने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है। कबीर के भजनों से लेकर दक्षिण भारत के विशिष्ट भक्ति संगीत और पंजाब के सूफियाना कलाम तक की विलक्षण गायन प्रतिभाएं भक्ति संगीत समारोह में शिरकत कर रही हैं। इसमें देश के भक्ति संगीत की विविधतापूर्ण और अलग-अलग भक्ति परंपराओं की प्रतिभाओं का गायन सुनने का मौका श्रोताओं को मिल रहा है।

इस मौके पर आए प्रसिद्ध भजन गायक अनूप जलोटा का भी मानना है कि भारत दुनियाभर में अपनी आध्यात्मिकता के लिए जाना जाता है और ईश्वर के प्रति अपने प्रेम का इजहार करने के लिए हमारे पास बहुआयामी विधाएं हैं। भक्ति संगीत समारोह एक अनूठा मंच है जहां संगीत की विभिन्न विधाओं के कलाकार एकत्रित होते हैं और भक्ति संगीत के प्रति अपने प्रेम का मिलकर इजहार करते हैं।

समारोह के आखिरी दिन चार गायन प्रस्तुतियां होंगी, जिनमें कबीर के भजनों को समर्पित बैंड कबीर कैफे की गायन प्रस्तुति होगी। आखिरी दिन गायन करने वालों में अरशद अली खान (कृष्ण भक्ति), सुमित्रा गुहा (राम भक्ति) और मास्टर सलीम (पंजाबी सूफियाना कलाम) जैसे कलाकार शामिल हैं।

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